बाँझ
सूरत सीरत का अदभुत मेल
थी हृदय की अति भोली
उत्साह उमंग संग पिया के
घर आँगन उतरी थी डोली
करते सभी रिश्तेदार प्रशंसा
बोलते स्नेह पगी मीठी बोली
सास ससुर की ममता ने
नित नवीन मिठास घोली
गूंजती रहती सदा रुनझुन सी
नन्द व देवर की हंसी ठिठोली
मंत्रमुग्ध हुई पिया मिलन से
तन मन की गाँठे सब खोलीं
हर रात लगती थी दीवाली
हर दिन लगता जैसे हो होली
दिवस माह बर्ष व्यतीत हुए
भर न सकी उसकी झोली
भाव परिवर्तित हो गए जग के
बातें छलनी कर मारे गोली
आंसुओं से तर रहने लगे
हरदम उसके दामन व चोली
स्नेह ममता के पुष्प झड़े
शेष रही तानों की डाली
कमी यदि है किसी जीवन में
पीड़ा समझो, न दो बाँझ गाली
मीनाक्षी मेहँदी
टिप्पणी: पीड़ित उदास नीर भरे नैना
भोर नहीं जीवन में बस अनंत साँझ
दुनिया कौंचती कह कर बाँझ
सूरत सीरत का अदभुत मेल
थी हृदय की अति भोली
उत्साह उमंग संग पिया के
घर आँगन उतरी थी डोली
करते सभी रिश्तेदार प्रशंसा
बोलते स्नेह पगी मीठी बोली
सास ससुर की ममता ने
नित नवीन मिठास घोली
गूंजती रहती सदा रुनझुन सी
नन्द व देवर की हंसी ठिठोली
मंत्रमुग्ध हुई पिया मिलन से
तन मन की गाँठे सब खोलीं
हर रात लगती थी दीवाली
हर दिन लगता जैसे हो होली
दिवस माह बर्ष व्यतीत हुए
भर न सकी उसकी झोली
भाव परिवर्तित हो गए जग के
बातें छलनी कर मारे गोली
आंसुओं से तर रहने लगे
हरदम उसके दामन व चोली
स्नेह ममता के पुष्प झड़े
शेष रही तानों की डाली
कमी यदि है किसी जीवन में
पीड़ा समझो, न दो बाँझ गाली
मीनाक्षी मेहँदी
टिप्पणी: पीड़ित उदास नीर भरे नैना
भोर नहीं जीवन में बस अनंत साँझ
दुनिया कौंचती कह कर बाँझ
ये विडम्बना है समाज की
ReplyDeleteजी हाँ
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