हर्ष फायरिंग आखिर कब तक?
हर्ष फायरिंग से होने वाले हादसों के विषय में अक्सर सुनने पढ़ने में आता है किंतु जब किसी परिचित के साथ ऐसा ये वाकया घटित होता है तो सम्वेदनाओं में अधिक विक्षोप आता है।कैसा दारुण पल रहा होगा एक दुल्हन बनी लड़की जो बारात आगमन के समाचार से प्रफुल्लित हो रही रही होगी अगले ही क्षण ह्रदय विदारक समाचार को सुन रही होगी।एक बहन का भाई ,एक परिवार का इकलौता चिराग असमय बुझ गया गया।कारण हर्ष उल्लास में की गयी फायरिंग।उफ़ क्या दुःखद हादसा है,खुशियों के पल दुःख के पल में बदल गये और कोई कुछ नहीं कर सकता।क्या विडम्बना है इस समाज की कि हर स्थिति को सुधारने के लिये सरकार और अदालत का मुख देखने की आदत सी बन गयी है।
हम कब जिम्मेदार नागरिक बनेंगें ? समाज को सुधारने के लिये हमें भी चंद प्रयास करने चाहिये।
ये असहनीय दुःख परिवार व परिचितों को सहन करने की शक्ति ईश्वर दे ,ये लिखते हुए भी हाथ कांप रहे हैं।आगे से हर्ष फायरिंग पर रोक लगा ये हादसे बन्द हो जायें तो सम्भवतः हम दिवंगत को श्रद्धाँजली अर्पित कर पायें।आइये प्रण करें अपने आसपास ऐसी घटना की पुनरावर्ती नहीं होने देंगे।
हर्ष फायरिंग से होने वाले हादसों के विषय में अक्सर सुनने पढ़ने में आता है किंतु जब किसी परिचित के साथ ऐसा ये वाकया घटित होता है तो सम्वेदनाओं में अधिक विक्षोप आता है।कैसा दारुण पल रहा होगा एक दुल्हन बनी लड़की जो बारात आगमन के समाचार से प्रफुल्लित हो रही रही होगी अगले ही क्षण ह्रदय विदारक समाचार को सुन रही होगी।एक बहन का भाई ,एक परिवार का इकलौता चिराग असमय बुझ गया गया।कारण हर्ष उल्लास में की गयी फायरिंग।उफ़ क्या दुःखद हादसा है,खुशियों के पल दुःख के पल में बदल गये और कोई कुछ नहीं कर सकता।क्या विडम्बना है इस समाज की कि हर स्थिति को सुधारने के लिये सरकार और अदालत का मुख देखने की आदत सी बन गयी है।
हम कब जिम्मेदार नागरिक बनेंगें ? समाज को सुधारने के लिये हमें भी चंद प्रयास करने चाहिये।
ये असहनीय दुःख परिवार व परिचितों को सहन करने की शक्ति ईश्वर दे ,ये लिखते हुए भी हाथ कांप रहे हैं।आगे से हर्ष फायरिंग पर रोक लगा ये हादसे बन्द हो जायें तो सम्भवतः हम दिवंगत को श्रद्धाँजली अर्पित कर पायें।आइये प्रण करें अपने आसपास ऐसी घटना की पुनरावर्ती नहीं होने देंगे।
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