Friday, 2 December 2016

सलोनी की कहानी(4)- हाथ का पंखा

सलोनी ने सोचा अब वो अपने पति को कोई शिकायत का मौका नहीं देगी,उसकी हर सुविधा का ध्यान रखेगी।तभी चिपचिपाती उमस भरी गर्मी में बिजली गुल हो गयी।सलोनी प्रेम से पंख झलने लगी जिससे उसका जीवन साथी सुख से सो सके।अचानक उसका पति बड़बड़ाने लगा ओफ्फो ये तुम्हारी चूड़ियों की खन खन अच्छी खासी नींद का सत्यानाश कर दिया और बाहर आंगन में जाकर सो गया।सलोनी आवक हाथ में थमे पंखे को देखती रह गयी।

टिप्पणी: आज सलोनी के पति का नामकरण करते हैं,विनीत नाम जेहन में आ रहा है ,ठीक है आज से विनीत और सलोनी की कहानी।

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