अंदर बाहर सम जीवन,जैसे मानव कोई यंत्र
बिना कैद किये बन जाता है व्यक्तित्व परतंत्र
जानो मनमस्तिष्क हैं बिषम मिलेगा आनंदमंत्र
आधा रहे संसारी कम से कम आधा रहे स्वतंत्र
Mm
टिप्पणी: यदि दिल और दिमाग में तारतम्य ना बन पा रहा हो तो कशमकश में जीने से बेहतर है कि दो हिस्सों में जी लो कभी दिमाग की सुनो कभी दिल की और जी लो जिंदगी......विश्वास कीजिये अलग ही सुख व राहत मिलेगी।
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