Saturday, 4 March 2017

" होली की ठिठोली"

" होली की ठिठोली"
सुरमई सुरमई मौसम हुआ,
बजने लगे नये राग
रंग गुलाल उड़ने लगे,
भीग भीग बहकाने लगा फ़ाग

मन मयूर नाचने लगा,
थिरकने लगे मद में पैर,
एक पल में ही हो गयी ,
सभी नक्षत्रों तक की सैर,

थम जाये ये समय,
सारी क़ायनात जाये थम,
बीत जाये यूँ ही सारी उमर,
काश यूँ ही संग खड़े रहें हम,

जादू छा गया तुम्हारे स्पर्श का,
 मेरे प्रिय,मनबसिया,
होली के रंग फ़ीके हुए,
चढ़ा तुम्हारा रंग रंगरसिया,

अपने रूपांतरण का ना दूँगी,
तुम्हें कोई दोष,तंज ना तानाबोली,
तुमने तो मेरी कलाई थाम,
की थी मात्र'होली की ठिठोली'
     
                     मीनाक्षी मेहंदी

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