Tuesday, 7 March 2017

सलोनी की कहानी(7)- सलोनी की होली ( दृश्य -2)

विनीत बिना ताला लगाये बड़बड़ाते हुए चला जाता है,सलोनी घर के कार्य निबटाने लगती है।तभी कॉलोनी की महिलायों की टोली आ जाती है,सबके साथ सलोनी भी बेमन से हुड़दंग में शामिल हो जाती है।हिंदी फिल्मी गाने बज रहे है बच्चे बड़े सब रंगे हुए है,बाल्टी भर भर पानी बरसाया जा रहा है,सब तरफ उमंग व तरंग का माहौल।सलोनी भी सराबोर होने लगी रंग भरी मस्तियों में। कुछ युवक सलोनी पर रंगीन पानी की बाल्टी उड़ेलने लगते हैं वो भागती है....तभी पड़ोसी सज्जन उसकी कलाई पकड़ लेते हैं सलोनी कसमसा कर कलाई छुड़ाने की कोशिश करती है पर नाकामयाब रहती है।ढेरों पानी दोनों पर उंडेल दिया जाता है।सलोनी को यकायक सब कुछ भाने लगता है उसे लगता है कायनात थम जाये और वो यूँ ही रंगीन पानी में सराबोर होती रहे।प्रफुल्लित सलोनी होली का भरपूर आनंद ले घर आती है।पूरे साल अगली होली की प्रतीक्षा करते हुये अपने सभी कार्य करीने से करती है ,बच्चों का प्रेम व ममत्व से लालन पालन करती है ,विनीत से भी कोई शिकायत नहीं करती।एक आनन्दित नारी सभी परिजनों के संग उत्फुल्लता भरे पल व्यतीत करती है ढेरों पकवान बनाती और मनुहार कर कर खिलाती है.....

टिप्पणी: सामाजिक दृष्टिकोण से सलोनी एक बुरी नारी है जो अपने पति की उपेक्षा के पश्चात भी खुश है तथा परपुरुष स्पर्श को भी उसने झिड़का नहीं....

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