कल तुम खिन्न थे- जब मैं थी अविचिलित,निष्क्रिय एवं अपरिवर्तित
मुझमें शने शने समाते गये प्रेम व अपनत्व से भरपूर कई उर्वर बीज
क्यूंकि तुमने जिजीविषा से प्रहार कर उत्पन्न कर दीं असंख्य दरारें
आज तुम खिन्न हो- जब बीज प्रस्फुटन से निकले नवांकुर,कोपलें व पुष्प
चटकी व सुगन्धित चट्टान अपेक्षित नहीं की थी सम्भवतः तुमने
क्यूंकि भाती थी चिकनी,समतल शिला जिस पर नहीं टिकती थीं प्रेमिल बूंदे
कल भी तुम खिन्न रहोगे- जब तुम्हारी स्मृतियों,नेह व प्रेम के चिह्न अमिट रहेंगें
अथक प्रयासों के बाद भी नहीं मिटायें जा सकेंगें युग युगान्तर तक
क्यूंकि तुम्हारा प्रेम जीवाश्म सा संरक्षित हो गया है मुझमें अनन्त काल तक.....
मीनाक्षी मेहंदी
टिप्पणी: जीवाश्म( fossil)
बहुत प्राचीन काल के जीव-जंतुओं, वनस्पतियों आदि के वे अवशिष्ट रूप जो ज़मीन की खुदाई पर निकलते हैं; पुराजीव; चट्टान में भी छपे पाये जाते हैं ....
मुझमें शने शने समाते गये प्रेम व अपनत्व से भरपूर कई उर्वर बीज
क्यूंकि तुमने जिजीविषा से प्रहार कर उत्पन्न कर दीं असंख्य दरारें
आज तुम खिन्न हो- जब बीज प्रस्फुटन से निकले नवांकुर,कोपलें व पुष्प
चटकी व सुगन्धित चट्टान अपेक्षित नहीं की थी सम्भवतः तुमने
क्यूंकि भाती थी चिकनी,समतल शिला जिस पर नहीं टिकती थीं प्रेमिल बूंदे
कल भी तुम खिन्न रहोगे- जब तुम्हारी स्मृतियों,नेह व प्रेम के चिह्न अमिट रहेंगें
अथक प्रयासों के बाद भी नहीं मिटायें जा सकेंगें युग युगान्तर तक
क्यूंकि तुम्हारा प्रेम जीवाश्म सा संरक्षित हो गया है मुझमें अनन्त काल तक.....
मीनाक्षी मेहंदी
टिप्पणी: जीवाश्म( fossil)
बहुत प्राचीन काल के जीव-जंतुओं, वनस्पतियों आदि के वे अवशिष्ट रूप जो ज़मीन की खुदाई पर निकलते हैं; पुराजीव; चट्टान में भी छपे पाये जाते हैं ....
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