भ्रूणहत्या (एक माँ की सोच)
बिटिया तुम्हें इस संसार में नहीं ला पाऊँगी
आशंकित तुम्हारे भविष्य से मैं हत्यारिन बन जाऊँगी
जब कोई नशे में धुत्त,चलाएगा 'इंकार'पर गोली
तनिक ना हिचकिचायेगा, खेलने में खूनी होली
तुम्हारी लाश के संग संग मैं भी मर जाऊँगी
तुम्हें मृतक देखने का साहस नहीं ला पाऊँगी
आशंकित तुम्हारे भविष्य से मैं हत्यारिन बन जाऊँगी
जब कोई भूल कर इंसानियत,
बनेगा हवस का मारा
बाँध गर्दन पलंग से,
मानमर्दन करेगा तुम्हारा
तुम्हारी बेहोशी के संग संग,
मैं भी बेसुध हो जाऊँगी
तुम्हें दीर्घकाल तक कोमा में नहीं देख पाऊँगी
आशंकित तुम्हारे भविष्य से मैं हत्यारिन बन जाऊँगी
जब कई नरपिशाच घेरेंगें,
कर चलती बस में सवार
निर्ममता बर्बरता की,
करेंगें सारी हदें पार
तुम्हारे घावों के संग संग,
मैं भी मरणासन्न हो जाऊँगी
तुम्हारा पर्चियाँ लिख बताया,
दर्द व अत्याचार नहीं पढ़ पाऊँगी
आशंकित तुम्हारे भविष्य से मैं हत्यारिन बन जाऊँगी
जब कोख़ में मचा हलचल,
अपने होने का अहसास कराती हो
तब रणचंडियों की गाथा भी, स्मरण मुझे कराती हो
तुम्हें मिटाया तो संग संग,
मैं भी तो मिट जाऊँगी
अपने अंश को पालूँगी,
इस धरा पर लाऊँगी
आशंकित तुम्हारे भविष्य से पर हत्यारिन ना बन पाऊँगी
सफ़ल व साहसी नारियों की,
कथा तुम्हें सुनाऊँगी
दृढ़,निर्भीक व सशक्त,
मैं तुमको बनाऊँगी
बिटिया तुम्हें इस संसार में,
मैं अवश्य लाऊँगी
आश्वस्त रहो प्यारी बिटिया,
भ्रूण हत्या को ना जाऊँगी
सौगन्ध खाती हूँ प्यारी बिटिया,
भ्रूण हत्या को ना जाऊँगी।
मीनाक्षी मेहंदी
बिटिया तुम्हें इस संसार में नहीं ला पाऊँगी
आशंकित तुम्हारे भविष्य से मैं हत्यारिन बन जाऊँगी
जब कोई नशे में धुत्त,चलाएगा 'इंकार'पर गोली
तनिक ना हिचकिचायेगा, खेलने में खूनी होली
तुम्हारी लाश के संग संग मैं भी मर जाऊँगी
तुम्हें मृतक देखने का साहस नहीं ला पाऊँगी
आशंकित तुम्हारे भविष्य से मैं हत्यारिन बन जाऊँगी
जब कोई भूल कर इंसानियत,
बनेगा हवस का मारा
बाँध गर्दन पलंग से,
मानमर्दन करेगा तुम्हारा
तुम्हारी बेहोशी के संग संग,
मैं भी बेसुध हो जाऊँगी
तुम्हें दीर्घकाल तक कोमा में नहीं देख पाऊँगी
आशंकित तुम्हारे भविष्य से मैं हत्यारिन बन जाऊँगी
जब कई नरपिशाच घेरेंगें,
कर चलती बस में सवार
निर्ममता बर्बरता की,
करेंगें सारी हदें पार
तुम्हारे घावों के संग संग,
मैं भी मरणासन्न हो जाऊँगी
तुम्हारा पर्चियाँ लिख बताया,
दर्द व अत्याचार नहीं पढ़ पाऊँगी
आशंकित तुम्हारे भविष्य से मैं हत्यारिन बन जाऊँगी
जब कोख़ में मचा हलचल,
अपने होने का अहसास कराती हो
तब रणचंडियों की गाथा भी, स्मरण मुझे कराती हो
तुम्हें मिटाया तो संग संग,
मैं भी तो मिट जाऊँगी
अपने अंश को पालूँगी,
इस धरा पर लाऊँगी
आशंकित तुम्हारे भविष्य से पर हत्यारिन ना बन पाऊँगी
सफ़ल व साहसी नारियों की,
कथा तुम्हें सुनाऊँगी
दृढ़,निर्भीक व सशक्त,
मैं तुमको बनाऊँगी
बिटिया तुम्हें इस संसार में,
मैं अवश्य लाऊँगी
आश्वस्त रहो प्यारी बिटिया,
भ्रूण हत्या को ना जाऊँगी
सौगन्ध खाती हूँ प्यारी बिटिया,
भ्रूण हत्या को ना जाऊँगी।
मीनाक्षी मेहंदी
ati uttam
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