1988=2016
आये थे सहारनपुर से मुरादाबाद तक का सफ़र करके मुझे bday surprise देने
सर्दी सहन नहीं होती थी उनसे ,पर रात का सफर कर शायद पैसेंजर ट्रेन में ही ,खड़े थे मेरे सामने जन्मदिन पर सुबह ही ,
मैं भोली सी सीने से लग गयी उनके और कहा आज मेरा जन्मदिन है
वो हँस दिये इसीलिये तो आया हूँ क्या उपहार चाहिए
मुझे तो सारे जहान की खुशियाँ मिल गयी थीं, उनके आने से भला और क्या चाहिये था।
पर उन्होंने मुझे नये कपड़े दिलाये केक ऑर्डर किया मेरी मित्रों को बुलाया ननिहाल में तो मैं रह ही रही थी तो सब हमउम्र बहनें,भाइयों,मा मा और मामियों के साथ
खूब बढ़िया bday celebration हुआ।
बहुत खुश थी मैं पहली बार मेरा जन्मदिन इतनी धूमधाम से मना था
तब क्या पता था अपने पापा के साथ ये मेरा अन्तिम जन्मदिन होगा
किसी के जाने से समयचक्र रुकता है क्या,साल आते रहे साल जाते रहे जन्मदिन मनाती रही पर कुछ कमी के साथ आँखों में नमी के साथ
"12 साल बाद घूरे के भी दिन फिरते हैं" पर भगवान ने मिलाया एक मित्र से 18 साल बाद जिन्हें देखती हूँ जब भी कौंध जाती है आँखों में पापा की छवि,हालाँकि याद नहीं अब कैसी थी पापा की आवाज़ पर उनकी आवाज में अनुभव होती है पापा की आवाज़ की गूँज
पिछले साल जन्मदिवस पर अपने जन्मसमय पर उनके सामने उनके साथ चाय पी रही थी मीठे से उलाहने के बाद कि सुबह से शुभकामनाएं भी नही दी गयीं
इस साल प्रतीक्षा कर रही थी शुभकामनाएं आएंगी उनकी तो लगेगा मिल गया पापा का आर्शीवाद
रात के 12 बजे से ही परिजनों और मित्रों की शुभकामनाएं आनी शुरू हो गयीं
मन में एक इच्छा ये भी थी कि कोई कुछ पंक्तियों के साथ शुभकामनाएं दे
दोपहर के 12 बज गये बार बार संदेश देख रही थी कि उनका संदेश भी हो पर नहीं
कई मित्रों के संदेश आ रहे पर बिना किन्हीं पंक्तियों के
बस आखिर बार inbox देख लूं फिर नही देखूंगी शाम तक और उनका सन्देश था कविता के रूप में शुभकामनाओं के साथ
ख़ुशी से आँखें छलछलना क्या होता है ये भी मालूम हो गया मैं ये बात उन्हें व्यक्तिगत भी भेज सकती थी पर आप सब को भी अपनी ख़ुशी में शामिल करना चाहती थी आख़िर कल खूब सारी खुशियाँ आप सब से भी तो मिली हैं
प्रभु से यही कामना है कि आप सब के जीवन में सभी खुशियां आयें और कई जन्मदिवस हम सब साथ में मनाते रहें।
"सबका जीवन मंगलमय हो"
आये थे सहारनपुर से मुरादाबाद तक का सफ़र करके मुझे bday surprise देने
सर्दी सहन नहीं होती थी उनसे ,पर रात का सफर कर शायद पैसेंजर ट्रेन में ही ,खड़े थे मेरे सामने जन्मदिन पर सुबह ही ,
मैं भोली सी सीने से लग गयी उनके और कहा आज मेरा जन्मदिन है
वो हँस दिये इसीलिये तो आया हूँ क्या उपहार चाहिए
मुझे तो सारे जहान की खुशियाँ मिल गयी थीं, उनके आने से भला और क्या चाहिये था।
पर उन्होंने मुझे नये कपड़े दिलाये केक ऑर्डर किया मेरी मित्रों को बुलाया ननिहाल में तो मैं रह ही रही थी तो सब हमउम्र बहनें,भाइयों,मा
खूब बढ़िया bday celebration हुआ।
बहुत खुश थी मैं पहली बार मेरा जन्मदिन इतनी धूमधाम से मना था
तब क्या पता था अपने पापा के साथ ये मेरा अन्तिम जन्मदिन होगा
किसी के जाने से समयचक्र रुकता है क्या,साल आते रहे साल जाते रहे जन्मदिन मनाती रही पर कुछ कमी के साथ आँखों में नमी के साथ
"12 साल बाद घूरे के भी दिन फिरते हैं" पर भगवान ने मिलाया एक मित्र से 18 साल बाद जिन्हें देखती हूँ जब भी कौंध जाती है आँखों में पापा की छवि,हालाँकि याद नहीं अब कैसी थी पापा की आवाज़ पर उनकी आवाज में अनुभव होती है पापा की आवाज़ की गूँज
पिछले साल जन्मदिवस पर अपने जन्मसमय पर उनके सामने उनके साथ चाय पी रही थी मीठे से उलाहने के बाद कि सुबह से शुभकामनाएं भी नही दी गयीं
इस साल प्रतीक्षा कर रही थी शुभकामनाएं आएंगी उनकी तो लगेगा मिल गया पापा का आर्शीवाद
रात के 12 बजे से ही परिजनों और मित्रों की शुभकामनाएं आनी शुरू हो गयीं
मन में एक इच्छा ये भी थी कि कोई कुछ पंक्तियों के साथ शुभकामनाएं दे
दोपहर के 12 बज गये बार बार संदेश देख रही थी कि उनका संदेश भी हो पर नहीं
कई मित्रों के संदेश आ रहे पर बिना किन्हीं पंक्तियों के
बस आखिर बार inbox देख लूं फिर नही देखूंगी शाम तक और उनका सन्देश था कविता के रूप में शुभकामनाओं के साथ
ख़ुशी से आँखें छलछलना क्या होता है ये भी मालूम हो गया मैं ये बात उन्हें व्यक्तिगत भी भेज सकती थी पर आप सब को भी अपनी ख़ुशी में शामिल करना चाहती थी आख़िर कल खूब सारी खुशियाँ आप सब से भी तो मिली हैं
प्रभु से यही कामना है कि आप सब के जीवन में सभी खुशियां आयें और कई जन्मदिवस हम सब साथ में मनाते रहें।
"सबका जीवन मंगलमय हो"
No comments:
Post a Comment