“कमेंट्स”
मिनी दो बर्ष पश्चात भी अपने पिता की असामयिक निधन के सदमे में थी।सजना संवरना उसे पसंद ना था।धन और चाव दोनों का अभाव था।इस मनोदशा में वो अपनी मौसी की शादी में सम्मिलित हुई उसकी मौसेरी,ममेरी बहनें नवीन वस्त्र व केश विन्यास में तितली सी उङ रही थीं।मिनी अपना दो बर्ष पुराना सलवार सूट और सादी दो चोटी देख सकुचा गई।सोलह बर्ष की उम्र में सबसे सुन्दर दिखने की चाह और वो…..
मिनी का मन अवसाद ग्रस्त हो गया।तभी मिनी की मामी ने घर से पूजा का थाल लाने भेजा।घर के समीप स्थित विवाह स्थल के आधे रास्ते में एक आकर्षक नवयुवक ने मिनी के निकट बाइक रोकी और सनग्लासेस खिसकाते हुये कहा”इस सादगी पर कौन ना मर जाए”और फुर्र हो गया।थोड़ी दूर खङी बहनों को उसने कोई तवज्जो नहीं दी।मिनी के मन की उदासी उङनछू हो गयी।खुशी खुशी विवाह समारोह का आनंद लिया।आज भी उस अन्जान नवयुवक को याद कर मिनी सोचती है जैसे कभी कभी दाग अच्छे होते है ऐसे ही कमेंट्स भी अच्छे है ना…….
अच्छी कहानी ...............
ReplyDeleteकभी - कभी दाग भी अच्छे लगते हैं। यहीं बात अगर कोईं लड़की वैसे सुन लेती तो उसे गाली जैसे लगते। मगर समय - समय का फर्क होता हैं।
बिलकुल सही समान बात हमारी मन स्थति के अनुसार हमे ख़ुशी या दुःख देती हे
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