मेहंदी के पास इकट्ठी हो गई थीं चंद चवन्नी उसने बड़े भैया से पूछा इनका क्या किया जाए इत्तेफाकन उसी दिन सुबह डॉक्टर साहब ने क्यारी में डाले थे पपीते के बीज बस बड़े भैया को झट एक विचार आया उन्होंने मेहंदी से कहा इन्हें भूमि में बोते हैं और फिर उनका पेड़ निकलेगा जिस पर आएंगी बहुत सारी चवन्नी । फिर हम उनके पैसे तोड़कर खूब सारी चीजें खरीद सकते हैं मासूम मेहंदी झट से उनकी बातों में आ गयी और क्यारी में बो दी अपनी जमापूंजी ।भैया ने समझाया रोज इसमें ध्यान से पानी डालना तो यह हो जाएंगे पौधे जल्दी-जल्दी बड़े। मेहंदी नित्य पानी डालने लगी और जल्दी निकल आए छोटे-छोटे हरे हरे पौधे जो बढ़ने लगे दिन दूनी रात चौगुनी तेजी से।मेहंदी देख देख कर फूली ना समाती उस पर आने लगे छोटे-छोटे पपीते ,मेहंदी ने भैया से कहा इस पर चवन्नी नहीं यह क्या लगा। भैया बोले यह फल है जब बड़े हो जाएंगे और हम इन को काटेंगे तब इनके अंदर से बीजों की तरह निकलेंगी चवन्नियां। मेहंदी बड़ी खुश और भी ध्यान से पौधों की देखभाल करने लगी धीरे-धीरे पपीते हो गए बड़े अब मेहंदी को लगा यह तो पपीते हैं उसने भैया से कहा ये तो पपीते हैं, भैया बोले चवन्नी के फल भी पपीते जैसे होते हैं पकने का इंतजार तो कर ।इस बार पूछा पापा से उन्होंने बता दिया यह पपीते हैं जब पक जायेंगे तब मिलकर खाएंगे। मेहंदी गुस्से में गई बड़े भैया के पास और पूछा भैया अभी आप ने मुझे बेबकूफ़ बनाया यह पपीते नहीं हैं कि पापा से पूछ लिया है ।मेरी चवन्नी ढूंढो। भैया हँसने लगे बोले उनकी तो मैंने उसी दिन जमीन से निकालकर टॉफी खा ली थीं खेल खत्म पैसा हजम। मेहंदी अपनी मूर्खता पर रोती बिसूरती रह गयी ।
टिप्पणी : कितने सपने कैद रहते थे उन छोटी सी चवन्नियों में, सारा जहां खरीदने की ताकत लगती थी उनमें । एक दिन ऐसा आया सारे सपने ताकत खत्म तथा लुप्त हो गयी चवन्नी।
टिप्पणी : कितने सपने कैद रहते थे उन छोटी सी चवन्नियों में, सारा जहां खरीदने की ताकत लगती थी उनमें । एक दिन ऐसा आया सारे सपने ताकत खत्म तथा लुप्त हो गयी चवन्नी।