लवली से दोस्ती होने के साथ ही मेहंदी उसके साथ ही विद्यालय से घर वापस आने लगी।जाती भाइयों के साथ थी और आती लवली के साथ।एक दिन लवली उसे अपने घर ले गयी उसके बरामदे में झूला लगा हुआ था,ये देख मेहंदी तो ख़ुशी से नाच उठी,फटाक से झूले पर बैठी और खूब झोंठे लिये।लवली के घर में उपस्थित चाची व उसकी मम्मी ने भी उसे ख़ूब लाड़ किया और कहा जब मन हो झूला झूलने आ जाया करो।चाहो तो छुट्टी में रोज़।जी आंटीजी मेहंदी तो प्रसन्न हो गयी किन्तु लवली को मेहंदी के इतने लाड़ अच्छे नहीं लगे।वो मेहंदी से कतराने लगी।उधर वंश मेहंदी के लिए रोज सीट रखता कोई उस सीट पर बैठने की कोशिश करता तो उससे हाथापाई भी करता किन्तु मेहंदी उससे अधिक लवली से बात करने को लालायित रहती थी।एक दिन सुबह विद्यालय जाने से पूर्व मेहंदी ने मम्मी को बता दिया कि मैं आज देर से आऊंगी लवली के घर झूला झूलने जाऊंगी।उस दिन भी लवली मेहंदी को उपेक्षित करती रही परन्तु मेहंदी को इतनी समझ ही कहाँ थी,उसने लवली से कहा कि वो उसके घर चलेगी झूलने,लवली ने बेमन से अच्छा कह दिया किन्तु छुट्टी में जल्दी से बाहर चली गयी।वंश मेहंदी का हाथ पकड़े छुट्टी में बाहर निकला पर वो तो लवली को ही ढूंढ रही थी तभी उसे लवली आगे जाती हुई दिखी,मेहंदी वंश के मना करने के पश्चात भी आनन फ़ानन हाथ छुड़ा कर भागी और सामने से आती किसी गाड़ी से टकरा कर गिर गयी।मूर्छित होते होते मेहंदी ने सुना कोई कह रहा था अरे ये तो डॉ नरेश की बेटी है और जब मेहंदी को होश आया तो पापा उसके उपचार में लगे थे।सौभाग्यवश मेहंदी को अधिक चोट नही आई थी किन्तु उस दिन से वंश सहम गया था शायद उसे लग रहा था कि उसकी हाथ पकड़ने की जिद की वजह से मेहंदी भागी वरना वो हल्के हल्के जाती और उस दिन से वंश की मासूम मोहब्बत सहम कर ख़ामोश हो गयी।
अच्छा मेंहदी का accident भी हुआ था।
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