Monday, 5 February 2018

विद्यालय का प्रथम दिवस(८)



मेहंदी की शिक्षा दीक्षा प्रारम्भ हो गई, उसकी पढ़ने में बेहद रूचि थी।जब भाई पढ़ने जाते थे तब वह भी विद्यालय जाने के लिये रोती थी।आखिर वो दिन आया जब वो पहले दिन विद्यालय गयी।इतने सारे बच्चे एक साथ वो तो घबरा कर भैया के पीछे प्रार्थना की पंक्ति में लग गयी,भैया ने बताया नर्सरी की पंक्ति दूसरी है पर वो नहीं हटी।भैया उसे उसकी कक्षा में सबसे आगे की सीट पर बैठा आये। पास में बैठी लड़की लवली व लड़के वंश से परिचय हुआ मेहंदी ल शब्द का उच्चारण र कह कर करती थी उसने लवली को रवरी कह दिया ये सुन लवली का मुँह बन गया पर भोली मेहंदी उसे अपनी सहेली मानने लगी। उनकी कक्षा अध्यापिका के बड़े बड़े नाखून देख कर मेहंदी का तो जैसे खून ही जम गया।पर जब अध्यापिका(जिन्हें सब मैम कह रहे थे) ने अपने हाथों की विभिन्न मुद्राएं बना कर ट्विंकल ट्विंकल लिटल स्टार सिखाई उसका भय भी जाता रहा।ये तो उसने घर पर भी सीखी थी जब उसके भाइयों को घर पर सर पढ़ाने आते थे तब।उसने वो कविता एक्शन सहित दोहरा ली।मैम भी खुश हो गईं।पता लगा कि वंश मैम का बेटा है,मेहंदी से हाथ मिला कर उसने उसे अपनी दोस्त बना लिया और कहा कि तुम्हारे लिये सबसे आगे की सीट रोज रखूँगा। इस तरह एक प्यारा दिन विद्यालय में बिता कर मेहंदी घर आकर पापा की प्रतीक्षा करने लगी और उनके आने पर सारी बातें विस्तार से बताईं । ट्विंकल ट्विंकल सुनाई उसका उत्साह देख डॉ साहब भी निहाल हो गये।

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