Wednesday, 31 January 2018

दुर्घटना(६)

नित्य सैकड़ों हज़ारों सड़क दुर्घटनाएं होती रहती है, समाचारपत्रों में पड़ते रहते हैं किन्तु जब अपने पर बितती है तो उसकी विकरालता का अनुभव होता है।
      डॉ साहब कार्यालय के कार्य से कुछ सहकर्मियों के संग कार्यालय की कार व चालक के साथ लखनऊ जा रहे थे।अचानक सामने से आती दूसरी कार से टक्कर हो गई।भीषण दुर्घटना थी,चालक के सिवा सभी को गम्भीर चोटें आईं।डॉ साहब के भी हाथ की हड्डी टूट गयी तथा और भी घाव हो गए।चालक ने ही हिम्मत करके सबको लखनऊ के मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया।सबका ध्यान रखा जाने लगा किन्तु चालक के अंदरूनी रक्तस्राव होता रहा जिसके कारण उसकी मृत्यु हो गयी,सबके लिए यह स्थिति अप्रत्याशित थी कि जिसके कारण सबको सही समय चिकित्सा मिली वही इस जग में नहीं रहा, बहुत ही दुःखद.....यही जीवन की भंगुरता है ।
     डॉ साहब के सभी रिश्तेदार आ गए सब जोर देने लगे अपने घर के निकट ही स्थानांतरण करा लो।फ़िलहाल डॉ साहब सीधे हाथ में बंधे प्लास्टर के साथ घर आ गए तथा कई कार्य उलटे हाथ से करने लगे जिन्हें करने का उन्हें इतना अभ्यास हो गया कि सीधा हाथ सही होने के पश्चात भी उलटे हाथ से करते रहे जैसे दांत मांजना और दाढ़ी बनाना।मेहंदी जब बड़ी हुई थी तो उसे पापा को उलटे हाथ से कम करते देखना बड़ा अच्छा लगता था और उनके हाथों पर पड़े टाँकों के निशान भी वो रोज छूती थी।
    

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