Monday, 9 July 2018

छाला (२२)

   छाला (२२)
    घरेलू नौकर के ना आने पर एक दिन मम्मी ने मेहंदी से आधी बाल्टी पानी हैण्डपम्प से भरने को कह दिया।काफी बड़ी बाल्टी थी मेहंदी को पहली बार इतनी मेहनत का काम मिला था तो उसने जोश जोश में पूरी बाल्टी भर दी....पर ये क्या उसका हाथ सूज कर फूला फूला क्यों हो गया।दर्द भरे हाथ लेकर मम्मी के पास भागी ,मम्मी इतना बड़ा छाला देख घबरा गयीं अब तो डॉ साहब से डाँट पड़नी पक्की है कि मेरी लाडली से इतना काम क्यों करवाया।उन्होंने पूरी भरी बाल्टी देखी और मेहंदी पर चिल्लाने लगीं तुझे आधी बाल्टी कही थी पूरी क्यों भरी। मेहंदी सहम कर नन्हे भाई के पास बैठ गयी तभी वहां बड़े भैया आ गये और उसके हाथ के छाले को स्नेह से सहलाते हुए उस पर मरहम लगाया और छोटे भाई के नर्म नाजुक गुलाबी तलवे दिखा कर बोले तू भी इसकी तरह सारे दिन बैठी रहा कर इसके जैसी ही नाजुक नर्म रहना।मेहंदी की समझ में भैया की बातें आयीं या नहीं पता नहीं पर मरहम से ठंडक मिली किन्तु वो सोच रही थी जैसे भैया उसे प्यार करते हैं माँ क्यों नहीं करतीं हमेशा मेहंदी में उन्हें कमियाँ ही क्यों दिखती हैं .....कुछ करो तो भी ना करो तो भी.....
   काश भैया की तरह माँ ने भी उसकी चोट सहला दी होती। ये छाला तो कुछ दिन में ठीक हो जायेगा किन्तु जो छाले मम्मी के व्यवहार से मन में उभर गये हैं वो क्या कभी भी भर पायेंगे?

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