Wednesday, 15 February 2017

ऋतुराज आया है


बहार व फाल्गुन का आगाज लिए ऋतुराज आया है
ऋतु एवं माह के मिलन का उन्माद सभी पर छाया है

बहार व फाल्गुन का आगाज लिए ऋतुराज आया है

कोकिल कंठ में बसकर इसने राग पंचमी गाया है
आम्रकुंज में बौर बनकर उपवन को महकाया है

बहार व फाल्गुन का आगाज लिए ऋतुराज आया है

पीली सरसों जड़ित धरा का  नयनाभिराम रूप बिखराया है
रक्ताभ पलाश की लालिमा से वन को अग्नि सा दहकाया है

बहार व फाल्गुन का आगाज लिए ऋतुराज आया है

नवपल्लव के हरित श्रृंगार से तरुवर भी इठलाया है
दिवाकर ताप ने वसुधा आँचल रंग पिटारा बरसाया है

बहार व फाल्गुन का आगाज लिए ऋतुराज आया है

कुसुम सुवास ने गुंजन करते मधुकर को बहकाया है
महुआ की मादक सुगन्ध ने परिमंडल भरमाया है

बहार व फाल्गुन का आगाज लिए ऋतुराज आया है।
ऋतु एवं माह के मिलन का उन्माद सभी पर छाया है

                                मीनाक्षी मेहंदी

                  

2 comments:

  1. Ye to kisi sahityakaar ki kavita lagti hai sabdo ka itna sateek chayan wah

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    1. धन्यवाद नीलम इतनी अच्छी प्रशंसा हेतु।

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