बहार व फाल्गुन का आगाज लिए ऋतुराज आया है
ऋतु एवं माह के मिलन का उन्माद सभी पर छाया है
बहार व फाल्गुन का आगाज लिए ऋतुराज आया है
कोकिल कंठ में बसकर इसने राग पंचमी गाया है
आम्रकुंज में बौर बनकर उपवन को महकाया है
बहार व फाल्गुन का आगाज लिए ऋतुराज आया है
पीली सरसों जड़ित धरा का नयनाभिराम रूप बिखराया है
रक्ताभ पलाश की लालिमा से वन को अग्नि सा दहकाया है
बहार व फाल्गुन का आगाज लिए ऋतुराज आया है
नवपल्लव के हरित श्रृंगार से तरुवर भी इठलाया है
दिवाकर ताप ने वसुधा आँचल रंग पिटारा बरसाया है
बहार व फाल्गुन का आगाज लिए ऋतुराज आया है
कुसुम सुवास ने गुंजन करते मधुकर को बहकाया है
महुआ की मादक सुगन्ध ने परिमंडल भरमाया है
बहार व फाल्गुन का आगाज लिए ऋतुराज आया है।
ऋतु एवं माह के मिलन का उन्माद सभी पर छाया है
मीनाक्षी मेहंदी
Ye to kisi sahityakaar ki kavita lagti hai sabdo ka itna sateek chayan wah
ReplyDeleteधन्यवाद नीलम इतनी अच्छी प्रशंसा हेतु।
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