उलझ जाओगे सोचोगे जब; क्या थे पूर्वजन्म में
चमगादड़,मच्छर,चिड़िया;ख़रगोश,सांप,हाथी
सूक्ष्म अमीबा ; या व्हेल विशाल
जो भी रहे होंगे; बीत गया वो काल
अगले जन्म में क्या बनोगे; बताओ क्या निर्णय लोगे
पुनः धरती पर आकर; लेना चाहोगे नव आकार
या पाना चाहोगे; मुक्ति का पावन द्वार
त्यागो जो था भूतकाल; कल्पित ना करो भविष्य
वर्तमान में हो मानव; समझो मानवता को
ना हो प्रभु सी व्यापकता; ना दैत्य सी भयानकता
केवल मानव ही बनो तुम,एक सीधे ,सरल,निष्कपट।
मीनाक्षी मेहंदी
चमगादड़,मच्छर,चिड़िया;ख़रगोश,सांप,हाथी
सूक्ष्म अमीबा ; या व्हेल विशाल
जो भी रहे होंगे; बीत गया वो काल
अगले जन्म में क्या बनोगे; बताओ क्या निर्णय लोगे
पुनः धरती पर आकर; लेना चाहोगे नव आकार
या पाना चाहोगे; मुक्ति का पावन द्वार
त्यागो जो था भूतकाल; कल्पित ना करो भविष्य
वर्तमान में हो मानव; समझो मानवता को
ना हो प्रभु सी व्यापकता; ना दैत्य सी भयानकता
केवल मानव ही बनो तुम,एक सीधे ,सरल,निष्कपट।
मीनाक्षी मेहंदी
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