Wednesday, 8 February 2017

अभिव्यक्ति प्रेम की


                 "अभिव्यक्ति प्रेम की"
प्रेम तो अनुभव किया जाता है ठीक
संगीत,सुगन्ध,मिठास और ताज़गी की तरह
इसे बयां कर क्यों कम किया जाये सौन्दर्य इसका
इसी दार्शनिक्ता के तहत मौन रहते हो तुम

हाँ,तुम्हें अनुभव किया है मैंने सूर्य रश्मियों में
अपराह्न के भरपूर  उजाले में,सुरमई शाम में
अँधेरे में ,सन्नाटे में,ख़्वाब में,हर आहट में
बरसती बूंदों में ,सदा आस पास बसा पाया है

पर ये अरमान श्वेत श्याम मेघों से मचलते हैं
जैसे शाखों को पत्ते,आँख को आंसू,फूल को ओस
 पर्वत को हिम,सागर को लहरें,नभ को सितारे,पूर्णिमा को चंद्रमा तथा उगते हुये सूर्य को लालिमा दे देते हैं मतवाले प्रेम सन्देश  ऐसे ही तुम भी कर दो चंद शब्दों में प्रेम की अभिव्यक्ति..... 
      तो धन्य हो जाऊंगी मैं .....
    व अनुभव के साथ अनुभूति भी कर पाऊँगी उस अमर प्रेम की जिसे बसाये हैं हम दोनों युग युगान्तर से अपने ह्रदय के भीतर.....
                               मीनाक्षी मेहंदी
टिपण्णी: माना कि प्यार ख़ामोश अहसास है पर बोल दो मधुर प्रेम के बोल तो पता लग जाये की किस तरह तुम प्यार को महसूस करते हो....

No comments:

Post a Comment