आलिंगन में जब बाँध लिया तुमने मुझको प्रियतम
रिमझिम बारिश सा मदिर स्पर्श तुम्हारा प्रगाढ़तम
सागर की मस्त लहरों सी वो लहराती चंचल बाहें
तुममें जाकर सिमटने को आकुल हुई दिल की राहें
सांसों में गूँजने लगे मद भरे नवीन संगीत और आलाप
धडकनों में कोलाहल मचाने लगे नूतन सुर और ताल
मिलन का संदेश देती भरमाती तुम्हारी चंपई देहसुगन्ध
लतिका सी बनकर लिपट गयी मिल गया जब स्कन्ध
छा गयी चहुंओर हरियाली व गुंजायमान हुई शहनाईयां
इंद्रधनुष सी खिल गयी मैं दूर हो गयीं समस्त तन्हाईयां
शीतलहर सी थी मैं गरम लू के थपेड़ों से आ लिपटे तुम
आलिंगनबद्ध हो कर बसन्ती बयार में भी उमस गये हम
मीनाक्षी मेहंदी
No comments:
Post a Comment