"वो पीला गुलाब"
तुम्हारी दी हुई पुस्तक में वो तुम्हारा दिया गुलाब
हमारी अप्रतीम मित्रता का प्रतीक वो पीला गुलाब
प्रत्येक वर्ष प्यारा पीताभ हाथ में लेकर देखती हूँ
सुर्ख लालिमा कभी तो इस पर छायेगी ये सोचती हूँ
कई प्रतीक्षित वर्ष युगोंयुग समान व्यतीत होते गये
सब्र का मेरे बाँध धीरे धीरे तोड़ते हुए बहते चले गये
यकायक आक्रोश और प्रेम का लेकर चटक लाल रंग
छिड़क दिया पीले गुलाब पर किन्तु हो गयी देख दंग
तुम्हारे पीले और मेरे लाल ने मिल नव सृजन कर दिया
उस पुष्प को नारंगी रंगत की आभा से निर्मित कर दिया
हालांकि उस केसरी पुष्प की पंखुड़ी पंखुड़ी बिखर गयी
तदापि हमारे रिश्ते को एक आध्यात्मिक महक दे गयी।
मीनाक्षी मेहंदी
टिप्पणी: गुलाब प्रेम दोस्ती के अतिरिक्त पसन्द का भी प्रतीक है,कोई किसी को किस रूप में पसन्द करता है ये दर्शाने में शायद गुलाब भी समर्थ नहीं हो पाता है कभी कभी.....
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