शाखों पर सुगन्धित पुष्प खिले ,
तितली मंडराई पराग पर जा कर
धुले,खुले व श्यामल घुंघराले केश,
नागिन से लहराने लगे बाबरे होकर
नेत्रों की अगम प्यास तृप्त हो गयी,
मछली सी तैरने लगी मुंदी पलकों पर
अनुराग छा गया मदमाते आम्र बौर का,
कोयल की कूक उठी सतरंगी मन पर
संदली पवन के ताज़ा समीर झोंकों से
हिरणी कुलाँचें भरने लगी मस्त स्वछंद
चन्द्रमा ने चाँदनी को प्रेमिल राग सुनाये
चकोर को लग गये नये नेह पंख चंद
ऊषा निशा काल की मिट गयीं दूरियां
मन मयूर मग्न नृत्य करने लगा हँसकर
हंस ने बो दीं जो मदिर अंगूरी खुशियाँ
हंसिनी की प्रीति बढ़ गयी उर बस कर
चकवे के मधुरम अधरम अंकित हो गये
चकवी के प्राण पृष्ठ पर नई छवि बनकर
राजकुमारी के जादुई चुम्बन के खुमार से
मेढक का हो जाता राजकुमार रूप में कायांतरण
मीनाक्षी मेहंदी
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