Wednesday, 30 November 2016

अनमोल आँसू

"अनमोल आँसू"
झर झर बहे आँसू अनमोल
इनके बिना जीवन बेमोल
झर झर बहे आँसू अनमोल
विरह की वेदना से अनुतप्त
भावों के चंदन से सुरभित
झर झर बहे आँसू अनमोल
युगों से संचित था ज्वार
पलक बंधन टूट बहा क्षार
झर झर बहे आँसू अनमोल
घिर आई दुःख की बदली
बिजली बन पीड़ा मचली
झर झर बहे आँसू अनमोल
नहीं होते ये कमजोर निशानी
व्यक्त करते प्रीत की कहानी
झर झर बहे आँसू अनमोल
मन की सब बातें कहें नीर
बिन बोले उगलें दबी पीर
झर झर बहे आँसू अनमोल
बीते पल जब याद आते हैं
मन को ढाँढस ये बंधाते हैं
झर झर बहे आँसू अनमोल
आज भी सूखी नहीं है नमी
आँखों की कोर पर है जमी
झर झर बहे आँसू अनमोल
इनके बिना जीवन बेमोल
झर झर बहे आँसू अनमोल

                 मीनाक्षी मेंहदी
टिप्पणी: आँसू बहाना भी कभी कभी आवश्यक हो जाता है,सारा गुबार बह कर मन हल्का हो जाता है और यदि उन आँसुओं को कोई समझ जाये तो मन में नई उमंग भी भर जाती है......

2 comments:

  1. बहुत सही कहा आपने,परन्तु आँसू बहाने नहीं पड़ते, खुद बहते हैं खुशी में भी और गम में भी।

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    1. जी हाँ,और उन्हें बहने देना भी चाहिये ज़बरन रोकना नहीं चाहिये..

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