Meenakshi Mehndi
Tuesday, 29 November 2016
तपता हुआ लोहा
मैं आग में तपता हुआ लोहा हूँ
अब है तेरे अख्तियार में
चाहे बना दे पात्र कोई
या ढाल दे हथियार में।
मैं भी आग में तपता लोहा हूँ,
तेरे पारंगत हस्त की चेष्टा से,
किसी आकर्षक आकार में ,
तेरे लिए ढल जाना चाहता हूँ।
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