Monday, 24 October 2016

सलोनी की कहानी (1)- गूलर के फल


कॉलेज प्रांगण में विशाल पेड़ के नीचे फ़ैले फलो को देख सलोनी ने मिली से पूछा ये क्या हैं?
अरे ये गूलर के फल हैं
सलोनी ने एक फल चख कहा,कितना फीका व बेस्वाद
हाँ,मिली ने कहा तभी तो कहावत है,"भूख में गूलर भी पकवान लगते हैं"
भगवान किसी को गूलर जैसी किस्मत ना दे सलोनी बड़बड़ाई।
और अब शादी के एक वर्ष पश्चात पति को गहरी निद्रा में मग्न देख बेआवाज़ सिसकती सलोनी सोच रही है"काश ऊपरवाले ने उसकी किस्मत गूलर फ़ल जैसी ही लिख दी होती "तो आज दुनिया उसे बाँझ कह कर तो ना पुकारती।
             
टिप्पणी: सबका अपना अपना सच,सबका अपना अपना यथार्थ......

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