Saturday, 22 October 2016

कोई बात भी लिखो ना.....

ख़त तो लिखा है कोई बात भी लिखो ना.....
सुबह और शाम के हालात भी लिखो ना.....
मुझसे मिलने से पहले जो वक्त गुजरा है
कुछ उस वक्त की बाबात भी लिखो ना.....
बचपन व लड़कपन की शरारतें
शौक क्या हैं जो तुम्हें है भाते
कुछ अपने बारे में अल्फ़ाज भी लिखो ना.....
कौन है तुम्हारे मन के सबसे पास
किससे कहते हो मन की आस
कुछ रिश्ते नातो का हाल भी लिखो ना......
तुम्हारे ख़्बाबो में जो बसी थी मूरत
क्या मिलती है उससे मेरी सूरत
कुछ दिल के जज़्बात भी लिखो ना.....
ख़त तो लिखा है.....

टिप्पणी: सगाई से शादी के मध्य के ख़त ,कितना कुछ लिखा जाता है ,कितना कुछ जानने की आतुरता होती है।ऐसे में पिया का ख़त आता है सिर्फ़ कुशलक्षेम पूछता हुआ तो प्रिया गुनगुनाने लगती है ......कुछ ऐसी ही पंक्तियाँ.....

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