टूट जाएँ जब स्वप्न सभी
किससे कहें हम तब दुःख अपना
जो प्यार दे उसे ना चाहे,
जिसे चाहें उसका प्यार ना पायें
किससे कहें हम तब दुःख अपना
जिसकी याद में दुनिया भूले,
वही याद ना करे हमे
किससे कहें हम तब दुःख अपना
जीना चाहे जिसके लिये हरदम
वही चढ़ा दे गर सूली पर
किससे कहें हम तब दुःख अपना
स्वयं को बहलाते थक जायें
उसे समझाते हार जायें
किससे कहें हम तब दुःख अपना
समझौते जिसके लिये करते जायें
वही हमारे मन ना भाये
किससे कहें हम तब दुःख अपना
प्रकाश पुंज ढूंढने निकलें
अंधकार ह्रदय में ही पायें
किससे कहें हम तब दुःख अपना
जिस गुण से प्रभावित हों
सिर्फ वही कमी हम पायें
किससे कहें हम तब दुःख अपना
प्रशंसा पाने के प्रयास में
सब अरमान बिखर जायें
किससे कहें हम तब दुःख अपना
जहर पियें और मुस्कुराने चाहें
आँसू मगर बहते जायें
किससे कहें हम तब दुःख अपना
किसी को जानने की हद में
अनजान स्वयं से हो जायें
किससे कहें हम तब दुःख अपना
अपनापन पाने बाहर निकलें
बेगाने चेहरे नज़र आयें
किससे कहें हम तब दुःख अपना
सुख शांति की डगर पर
गमों की मंजिल दिख जायें
किससे कहें हम तब दुःख अपना
हाथ दिखाये भविष्य जानें
रेखायें भाप बन उड़ जायें
किससे कहें हम तब दुःख अपना
सार्थक करने की खोज में
संसार को ही निर्रथक पायें
किससे कहें हम तब दुःख अपना
पुण्य बटोरने की जिद में
पापों की सूची बन जाये
किससे कहें हम तब दुःख अपना
धूल पौछें जिसकी तस्वीर से
वही मिट्टी में दफना दे
किससे कहें हम तब दुःख अपना
पानी से बचना चाहें
दलदल में धंसते जायें
किससे कहें हम तब दुःख अपना
कमल बन ना पायें
कीचड़ चारों तरफ पायें
किससे कहें हम तब दुःख अपना
जीवन नैया तैराने निकलें
बीच भंवर में फंस जायें
किससे कहें हम तब दुःख अपना
इलाज जिससे कराना चाहें
रोगग्रस्त उसको ही पायें
किससे कहें हम तब दुःख अपना
रेत छानें मोती वास्ते
पत्थर ही हाथ आयें
किससे कहें हम तब दुःख अपना
जिस पर गर्व करते रहें
वही हमारी नज़र झुकाये
किससे कहें हम तब दुःख अपना
दुआ दें तहे दिल से
बद्दुआ स्वयं पर आये
किससे कहें हम तब दुःख अपना
स्वयं को ना पहचाना
उसको भी ना जान पायें
किससे कहें हम तब दुःख अपना
दिल मिलाने की कोशिश में
हाथ से हाथ भी छूट जाये
किससे कहें हम तब दुःख अपना
उलझनें सुलझाते बेसुध हों
होश आये खुद उलझ जायें
किससे कहें हम तब दुःख अपना
अलग दिखने की चाहत में
सब से अलग हो जायें
किससे कहें हम तब दुःख अपना
हम अपने गम कहना चाहें
तुम किन्तु सुनना ना चाहो
किससे कहें हम तब दुःख अपना
मीनाक्षी मेहंदी