Tuesday, 22 November 2016

Messenger की मस्ती


(क्या खूब रही मैसेंजर पर)
वाह क्या खूब दो दिन हमने मैसेंजर पर बिताये
जमाने के नए नए रंग आँखों के सामने आये
पापा के मित्र हम पर अपना स्नेह बरसाए
ताजे शेर पेश करके हमारा मान बढ़ाये
नन्नी गुड़िया की बेटी बड़ी हुई जान चकराए
अपने शुभ आशीष हम सब पर खूब बरसाये
पुरानी यादें ताज़ा कर मन भर आये
बीते पलों के मंजर आँखों के आगे आये
वाह क्या खूब दो दिन हमने मैसेंजर पर बिताये
सभी रिटायर मित्र अपनी रचनायें ले आये
खाली वक़्त में सबने लेखन लिया अपनाये
शौक मेरा मुझको बुज़ुर्गियत का अहसास कराये
पर सबकी वाहवाही ने हौसलें भी बढ़ाये
एक दूजे की खूबियां खामियां बताते जाये
मिलजुल रचनाओं से सजी दुनिया बनाये
वाह क्या खूब दो दिन हमने मैसेंजर पर बिताये
एक मित्र महोदय हमें देख खूब सकुचाये
तुम्हारा नाम अब अपनी पत्नी से कैसे छिपाएं
wapp पर पुरुष नाम save कर जान बचाय
तुम्हारी dp की फ़ोटो को मित्र की श्रीमती बताय
तुम बनी रहो यहीं पर हम भाग जायें
Meessengar delete कर ही सुकून पाये
वाह क्या खूब दो दिन हमने मैसेंजर पर बिताये
प्रथम दिन हमने भी अर्द्धरात्रि तक धमाल मचाये
चार मित्रों की डाँट पड़ी जब तब सोने को जाय
भेजा bouquet किसीको गड़बड़ emoji हाय
fontcolour बदल सबका पसंदीदा रंग दिखलाय
Wapp से डर नहीं लगता साहेब Meesengar से डर जाय
कुछ मित्रों ने तो ऐसे फ़िल्मी डॉयलॉग भी बरसाये
वाह क्या खूब दो दिन हमने मैसेंजर पर बिताये
             मीनाक्षी मेहंदी
टिप्पणी : ऊपरवाले ने हास्यबोध तो ख़ूब बख़्शा है किंतु हास्य लिखने में हाथ तंग है,थोड़ा प्रयास किया है किसी पर व्यक्तिगत आपेक्ष नहीं है।बस यूँ ही बैठे ठाले हंसी ठिठोली.....

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