आम का धमाल(१२)
मेहंदी को आम बहुत पसंद थे, पके हुये रस से भरे हुये आम।एक दिन वो आम उठा कर आँगन में आ गयी इत्मीनान से खाने के लिए ,अभी एक टुकड़ा ही चखा था कि ना जाने कहाँ से एक बन्दर आ गया और आम छीनने लगा किन्तु मेहंदी तो मेहंदी थी उसने भी आम नही दिया ।अब दृश्य कुछ यूँ बना मेहंदी आम खाते हुए आगे आगे और उसका फ्रॉक पकड़े हुए बन्दर पीछे पीछे।मम्मी पूजा कर रही थी मेहंदी ने उन्हें आवाज़ दी .....मम्मी बन्दर से बचाओ।या तो माँ ने सुना नहीं या उनके लिए पूजा अधिक महत्वपूर्ण थी।मेहंदी की चीखें सुनकर पापा और बड़े भाई कर आये तथा सारा माजरा समझ कर मेहंदी से कहा कि आम फेंक दो। पर नही आम का लोभ इतनी आसानी से कैसे छूट जाये,आख़िर पापा और भाई ने बन्दर को भगा दिया तब मेहंदी ने चैन से आम खाया। एक सवाल किन्तु मेहंदी के जहन में घूमता रहा यहीं पास में पूजा करती मम्मी ने उसकी आवाज नही सुनी और अंदर दूर कमरे में बैठे पापा व भाई ने सुन ली।क्या एक माँ के लिये सन्तान से बढ़कर भी कोई और महत्वपूर्ण कार्य हो सकता है।माँ क्यों नही आयीं उसे बचाने........आख़िर क्यों...?
मेहंदी को आम बहुत पसंद थे, पके हुये रस से भरे हुये आम।एक दिन वो आम उठा कर आँगन में आ गयी इत्मीनान से खाने के लिए ,अभी एक टुकड़ा ही चखा था कि ना जाने कहाँ से एक बन्दर आ गया और आम छीनने लगा किन्तु मेहंदी तो मेहंदी थी उसने भी आम नही दिया ।अब दृश्य कुछ यूँ बना मेहंदी आम खाते हुए आगे आगे और उसका फ्रॉक पकड़े हुए बन्दर पीछे पीछे।मम्मी पूजा कर रही थी मेहंदी ने उन्हें आवाज़ दी .....मम्मी बन्दर से बचाओ।या तो माँ ने सुना नहीं या उनके लिए पूजा अधिक महत्वपूर्ण थी।मेहंदी की चीखें सुनकर पापा और बड़े भाई कर आये तथा सारा माजरा समझ कर मेहंदी से कहा कि आम फेंक दो। पर नही आम का लोभ इतनी आसानी से कैसे छूट जाये,आख़िर पापा और भाई ने बन्दर को भगा दिया तब मेहंदी ने चैन से आम खाया। एक सवाल किन्तु मेहंदी के जहन में घूमता रहा यहीं पास में पूजा करती मम्मी ने उसकी आवाज नही सुनी और अंदर दूर कमरे में बैठे पापा व भाई ने सुन ली।क्या एक माँ के लिये सन्तान से बढ़कर भी कोई और महत्वपूर्ण कार्य हो सकता है।माँ क्यों नही आयीं उसे बचाने........आख़िर क्यों...?