स्थानांतरण के संग स्थान ही नहीं बदलता रहता बदल जाता है समूचा परिवेश,मन के जुड़ाब,आबोहवा आस पड़ोस, घर की संरचना,पुनः नये घर को विन्यासित करना जहाँ नई उमंग देता है वहीं पीछे छोड़ दिए गए घर और पड़ोस की यादें मन को झकझोरती रहती हैं।लड़कियाँ तो मायके को छोड़ ससुराल आती हैं पर मायके से सम्बन्ध जुड़ा रहता है किंतु स्थानांतरण के पश्चात तो कुछ परिजन जो बहुत निकट हो गए होते हैं दुबारा कभी मिलते है कभी नहीं भी मिलते जैसे यात्रा के समय कुछ सहयात्रियों से अच्छी जान पहचान हो जाती है और फिर वो अपने रास्ते हम अपने रास्ते।
मेहंदी तो शैशवावस्था में थी पता नहीं उसे उस परिवार की हुड़क लगी होगी या नहीं जिन्हें सौंप कर माँ सारे घर के कार्य निबटा लिया करती थीं।शिशु कुछ कह नहीं सकता एवं बड़े होने पर तो उसे स्वयं भी नहीं पता होता कितने परिजनों का स्नेह उसे मिला है।पता नहीं डाकू वाली घटना का प्रभाव था, दुर्घटना के बाद अपनों के निकट होने की आवश्यकता अनुभव करना या कुछ अन्य कारण, डॉ साहब का स्थानांतरण अपने गृहजनपद के निकट ही हो गया।कुछ लोगों से बिछड़ने की पीड़ा तथा अपने रिश्ते नातों के करीब आने की ख़ुशी के साथ नई जगह अपनी गृहस्थी सज़ा दी गयी।मेहंदी के जीवन का भी नया अध्याय शुरू होने वाला था।अब बाल्यावस्था में कदम रखने के संग ही विद्यार्थी जीवन का भी शुभारम्भ होने वाला था।
मेहंदी तो शैशवावस्था में थी पता नहीं उसे उस परिवार की हुड़क लगी होगी या नहीं जिन्हें सौंप कर माँ सारे घर के कार्य निबटा लिया करती थीं।शिशु कुछ कह नहीं सकता एवं बड़े होने पर तो उसे स्वयं भी नहीं पता होता कितने परिजनों का स्नेह उसे मिला है।पता नहीं डाकू वाली घटना का प्रभाव था, दुर्घटना के बाद अपनों के निकट होने की आवश्यकता अनुभव करना या कुछ अन्य कारण, डॉ साहब का स्थानांतरण अपने गृहजनपद के निकट ही हो गया।कुछ लोगों से बिछड़ने की पीड़ा तथा अपने रिश्ते नातों के करीब आने की ख़ुशी के साथ नई जगह अपनी गृहस्थी सज़ा दी गयी।मेहंदी के जीवन का भी नया अध्याय शुरू होने वाला था।अब बाल्यावस्था में कदम रखने के संग ही विद्यार्थी जीवन का भी शुभारम्भ होने वाला था।