" सुन्दरता तो देखने वाले की दृष्टि में होती है।"
गर्भकाल में माँ को दही ही सर्वाधिक रुचता था सम्भवतः उसी के प्रभाव से जब सर्दी में लोहड़ी के सुअवसर पर मेहंदी हुई तो उसकी खाल बहुत सिकुड़ी हुई, नाक तोते जैसी थी उसकी मौसी ने कहा जीजी बिलकुल सुंदर लड़की नहीं हुई है, माता पिता दोनों रूपवान ,भाई भी खूब सुंदर ये कैसी है।लेकिन एक महीने की देखभाल व मालिश करने से मेहंदी में वो निखार आया कि नामकरण के दिवस किसी को यकीन ही नहीं आया ये वही कन्या है,उसकी नानी ने तो परिहास भी कर दिया कि अस्पताल में किसी से बच्ची बदल दी है....हा हा हा।
पिता और नानी में बहस होती किसकी बेटी अधिक सुंदर है ,नानी कहती मेरी और पिता कहते मेरी इस बहस का कोई नतीजा कभी नहीं निकला क्योंकि सुंदरता तो देखने वाले की आँखों में होती है एवं अपनी संतान तो सभी को प्रिय होती है।
पड़ोस में रहने वाले डॉ खान की अम्मीजान मेहंदी को जब भी गोद लेतीं उसकी बलैया लेती और कहतीं ये तो इतनी सुंदर है सुहागरात को जब इसका शौहर घूँघट उठायेगा तो ख़ुशी से बेहोश हो जायेगा।
इन्हीं सब प्रशंसा तथा लाड़ प्यार के साथ मेहंदी बड़ी होती रही।
गर्भकाल में माँ को दही ही सर्वाधिक रुचता था सम्भवतः उसी के प्रभाव से जब सर्दी में लोहड़ी के सुअवसर पर मेहंदी हुई तो उसकी खाल बहुत सिकुड़ी हुई, नाक तोते जैसी थी उसकी मौसी ने कहा जीजी बिलकुल सुंदर लड़की नहीं हुई है, माता पिता दोनों रूपवान ,भाई भी खूब सुंदर ये कैसी है।लेकिन एक महीने की देखभाल व मालिश करने से मेहंदी में वो निखार आया कि नामकरण के दिवस किसी को यकीन ही नहीं आया ये वही कन्या है,उसकी नानी ने तो परिहास भी कर दिया कि अस्पताल में किसी से बच्ची बदल दी है....हा हा हा।
पिता और नानी में बहस होती किसकी बेटी अधिक सुंदर है ,नानी कहती मेरी और पिता कहते मेरी इस बहस का कोई नतीजा कभी नहीं निकला क्योंकि सुंदरता तो देखने वाले की आँखों में होती है एवं अपनी संतान तो सभी को प्रिय होती है।
पड़ोस में रहने वाले डॉ खान की अम्मीजान मेहंदी को जब भी गोद लेतीं उसकी बलैया लेती और कहतीं ये तो इतनी सुंदर है सुहागरात को जब इसका शौहर घूँघट उठायेगा तो ख़ुशी से बेहोश हो जायेगा।
इन्हीं सब प्रशंसा तथा लाड़ प्यार के साथ मेहंदी बड़ी होती रही।