Wednesday, 26 April 2017

23 /4/2016 की यादों की कलम से...

"कुछ यूँ एक बर्ष बीत गया"

यादों का युग लिए...कुछ यूँ...एक बर्ष बीत गया...

दीपक की आलोकित लौ सा, 
यादों का बर्ष बीत गया
कुछ यूँ....एक बर्ष...

नहीं मिट पायीं अंतर्मन में, चिड़ियों सी चहकती
वो गुलाब सी यादें तुम्हारी, पल पल जो महकती

बैशाख की फसलों के ,जब पके कनक
सुगबुगाने लगी ,तुम्हारी यादों की खनक

ज्येष्ठ की लंबी तपती, झुलसाती दुपहरिया
कट गयी तकते हुए, सूनी सूनी डगरिया

आषाढ़ की वो बढ़ती, ऊमस वाली गर्मी
तुम्हारी यादों ने ,ना दिखाई कोई नर्मी

श्रावण में ना बरसी,झमाझम रिमझिम फ़ुहार
यादें करती रहीं ,तरबतर निरंतर धुंआधार

भाद्रपक्ष में सुगन्धित, गीली मिट्टी की गंध
धूमायित जीवन मन्दिर में, यादों की सुगंध

आश्विन में गणपति का, कर दिया विसर्जन
उन्मत्त यादें करती रही, नित नूतन सृजन

कार्तिक  के अनवरत त्यौहार, व दीपावली
वेदों की ऋचा सी गूँजी, यादों की अरावली

मार्गशीष में बिछ गयी ,तजे पत्तों की चादर
तुम्हारी अपरिमित यादों की, उठती रही लहर

पौष में शरद आये ,सहमे हुए से सकुचाते
यादें कुंदन बन गयीं, स्वर्ण सा तपाते तपाते

माघ में धरती ,अच्छादित हुयी कोहरे से
समिधा सी सुलगती यादें, मौन क्रंदन से

फ़ागुन लेकर आया ,चटक रंग व उमंग 
मन सागर को मथते रहे ,यादों के संग

चैत्र लाया नवसंवत,भक्ति भरे भावगीत
निनिर्मेष हृदय में बजते रहे, यादों के संगीत

कुछ यूँ....एक वर्ष बीत गया
यादों का युग लिये
कुछ यूँ....एक बर्ष......
           मीनाक्षी मेहंदी

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