पहला व्रत (३०)
महाशिवरात्रि का पर्व घर में मम्मी पापा का व्रत हर वर्ष की भाँति इस वर्ष भी था। इस बार बच्चों को भी चाव लगा हम भी व्रत रखेंगे, मम्मी को क्या परेशानी बिना व्रत का अलग बनाती और अब सारा खाना एक साथ ही बन जाएगा उन्होंने भी हाँ कह दी।
स्कूल की छुट्टी थी ही सुबह सुबह उठकर सब स्नान कर मंदिर गए भगवान शिव का जलाभिषेक किया, उसके पश्चात घर आए मम्मी तो रसोई घर में व्यस्त हो गई और बच्चों को तो सताने लगी भूख ,भूल गए कि आज व्रत रखा है अलमारी में मूंगफली रखी थी, झट से निकाली और फट से खालीं।खाते-खाते याद आया अरे आज तो व्रत रखा था ये क्या हुआ जीवन में पहली बार व्रत रखा वो भी टूट गया। बीच वाले भैया शरारती थे उन्होंने कहा अब तो व्रत टूट ही गया है तो क्यों ना ऐसा करें बिस्कुट खा लेते हैं और उन्होंने बिस्किट्स का पैकेट खोला। तीनों ने खा लिया लेकिन मन बड़ा गुमसुम था कि पहली बार रखा व्रत टूट गया ।तभी पापा भी घर आ गए उनको देखकर मेहंदी झट गयी उनके पास। पापा पापा मेरा व्रत टूट गया। ओह्ह कैसे? डॉ साहब ने पूछा।मूंगफली मुँह लटकाये मेहंदी ने कहा। अरे बिटिया मूंगफली तो व्रत में खा सकते हैं तुम्हारा व्रत नहीं टूटा। मेहंदी चहक उठी अच्छा पापा बिस्किट्स खाने से?
बिस्किट नहीं खाते हैं व्रत में ।
अब तो मेहंदी को इतना दुःख हुआ जितना मूँगफली खाने से व्रत टूटने का सोच कर भी नहीं हुआ था। गुस्सा भी आया बीच वाले भैया पर उनके कारण ही.....गुरर्र।
शाम को एक अंकल आये उन्हें पूरा किस्सा पता लगा तो उन्होंने बताया जब वो बचपन मे व्रत रखने की जिद करते थे तो उनकी मम्मी एक दाढ़ का व्रत रखने को कहती थीं वो एक तरफ के दांतों से पूरा खाना खा लेते थे। मेहंदी तुमने एक तरफ से ही तो बिस्किट खाये होंगें। मेहंदी को इतना ध्यान नहीं था उसका व्रत ना रख पाने का संताप जन्माष्टमी का व्रत रखने के पश्चात ही दूर हुआ। उसके बाद मेहंदी ध्यानपूर्वक जन्माष्टमी व शिवरात्रि के व्रत सालोंसाल रखती रही।
महाशिवरात्रि का पर्व घर में मम्मी पापा का व्रत हर वर्ष की भाँति इस वर्ष भी था। इस बार बच्चों को भी चाव लगा हम भी व्रत रखेंगे, मम्मी को क्या परेशानी बिना व्रत का अलग बनाती और अब सारा खाना एक साथ ही बन जाएगा उन्होंने भी हाँ कह दी।
स्कूल की छुट्टी थी ही सुबह सुबह उठकर सब स्नान कर मंदिर गए भगवान शिव का जलाभिषेक किया, उसके पश्चात घर आए मम्मी तो रसोई घर में व्यस्त हो गई और बच्चों को तो सताने लगी भूख ,भूल गए कि आज व्रत रखा है अलमारी में मूंगफली रखी थी, झट से निकाली और फट से खालीं।खाते-खाते याद आया अरे आज तो व्रत रखा था ये क्या हुआ जीवन में पहली बार व्रत रखा वो भी टूट गया। बीच वाले भैया शरारती थे उन्होंने कहा अब तो व्रत टूट ही गया है तो क्यों ना ऐसा करें बिस्कुट खा लेते हैं और उन्होंने बिस्किट्स का पैकेट खोला। तीनों ने खा लिया लेकिन मन बड़ा गुमसुम था कि पहली बार रखा व्रत टूट गया ।तभी पापा भी घर आ गए उनको देखकर मेहंदी झट गयी उनके पास। पापा पापा मेरा व्रत टूट गया। ओह्ह कैसे? डॉ साहब ने पूछा।मूंगफली मुँह लटकाये मेहंदी ने कहा। अरे बिटिया मूंगफली तो व्रत में खा सकते हैं तुम्हारा व्रत नहीं टूटा। मेहंदी चहक उठी अच्छा पापा बिस्किट्स खाने से?
बिस्किट नहीं खाते हैं व्रत में ।
अब तो मेहंदी को इतना दुःख हुआ जितना मूँगफली खाने से व्रत टूटने का सोच कर भी नहीं हुआ था। गुस्सा भी आया बीच वाले भैया पर उनके कारण ही.....गुरर्र।
शाम को एक अंकल आये उन्हें पूरा किस्सा पता लगा तो उन्होंने बताया जब वो बचपन मे व्रत रखने की जिद करते थे तो उनकी मम्मी एक दाढ़ का व्रत रखने को कहती थीं वो एक तरफ के दांतों से पूरा खाना खा लेते थे। मेहंदी तुमने एक तरफ से ही तो बिस्किट खाये होंगें। मेहंदी को इतना ध्यान नहीं था उसका व्रत ना रख पाने का संताप जन्माष्टमी का व्रत रखने के पश्चात ही दूर हुआ। उसके बाद मेहंदी ध्यानपूर्वक जन्माष्टमी व शिवरात्रि के व्रत सालोंसाल रखती रही।
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