Thursday, 31 January 2019

दुकानदारी(३१)

दुकानदारी (३१)
   एक बार मेहंदी और उसके भाइयों ने टॉफी बिस्किट्स  की दुकान लगाने की सोची। पड़ोस के भी 3 बच्चे तैयार हो गए बोलो उन्होंने अपने गुल्लक खोली, उसमें निकले ₹7 .75 , 25 पैसे बच गए और ₹7 50 का सामान ला कर दुकान सजा ली । उसमें थी ऑरेंज वाली कैंडी खट्टी मीठी चूसने की टोपियां लॉलीपॉप च्यूइंगम और भी इसी तरह का समान । पड़ोस के 3 बच्चे भी ले आए अपने पास इकट्ठे रूपयों का इकट्ठा रूपों का सामान। उन्होंने भी सामने ही एक कपड़ा बिछाकर दुकान से सजा ली। आमने सामने अपनी दुकानों पर तीन-तीन बच्चे बैठे हैं खुद खुद ही बैठे-बैठे बोर हो गए किसी की कोई बिक्री नहीं हो रही थी तो बीच वाले भैया को विचार आया उनके पास एक चवन्नी बची थी उसे ले जाकर पड़ोस के बच्चों से टॉफियां ले आए और खा ली। अब सामने वाले बच्चों के पास आ गईं चवन्नी उन्होंने मेहंदी  से टॉफी खरीदी और खा लीं। मेहंदी ने फिर उनसे बिस्कुट वगैरह खरीदे इस तरह से होते-होते पूरी दुकान का सामान बिक गया। और उन लोगों ने एक दूसरे का सब सामान खा लिया शाम को पापा आए मेहंदी जल्दी से भागी पापा के पास। पापा को पता था आज दुकान लगाई है उन्होंने पूछा और सुनाओ तुम्हारे समान कितना बिका ।मेहंदी बहुत खुश पापा पापा हमारा दोनों दुकानों का सामान सारा बिक गया।वह पहली बार दुकानदारी की और 100 प्रतिशत बिक्री। और बताओ कितना मुनाफा हुआ ।मेहंदी बोली ,पापा बिक्री तो बहुत हुई पर मुनाफा नहीं हुआ जो चवन्नी हमारे पास थी वहीं बच गई और इसके अलावा कुछ नहीं ।पापा ने पूरा किस्सा सुनाऔर हंसते हुए बोले तुम लोगों की बस की नहीं है दुकानदारी। दुकानदार नहीं बन सकतेतुम कभी भी। इसी के साथ उन लोगों का 1 दिन का बिजनेस समाप्त हुआ जो सिखा गया कि सबक खेल खेल में ही।

Wednesday, 9 January 2019

पहला व्रत (३०)

पहला व्रत (३०)
     महाशिवरात्रि का पर्व घर में मम्मी पापा का व्रत हर वर्ष की भाँति इस वर्ष भी था। इस बार बच्चों को भी चाव लगा हम भी व्रत रखेंगे, मम्मी को क्या परेशानी बिना व्रत का अलग बनाती और अब सारा खाना एक साथ ही बन जाएगा उन्होंने भी हाँ कह दी।
   स्कूल की छुट्टी थी ही सुबह सुबह उठकर सब स्नान कर मंदिर गए भगवान शिव का जलाभिषेक किया, उसके पश्चात घर आए मम्मी तो रसोई घर में व्यस्त हो गई और बच्चों को तो सताने लगी भूख ,भूल गए कि आज व्रत रखा है अलमारी में मूंगफली रखी थी, झट से निकाली और फट से खालीं।खाते-खाते याद आया अरे आज तो व्रत रखा था ये क्या हुआ  जीवन में पहली बार व्रत रखा वो भी टूट गया। बीच वाले भैया शरारती थे उन्होंने कहा अब तो व्रत टूट ही गया है तो क्यों ना ऐसा करें बिस्कुट खा लेते हैं और उन्होंने बिस्किट्स का पैकेट खोला। तीनों ने खा लिया लेकिन मन बड़ा गुमसुम था कि पहली बार रखा व्रत टूट गया ।तभी पापा भी  घर आ गए उनको देखकर मेहंदी झट गयी उनके पास। पापा पापा मेरा व्रत टूट गया। ओह्ह कैसे? डॉ साहब ने पूछा।मूंगफली मुँह लटकाये मेहंदी ने कहा। अरे बिटिया मूंगफली तो व्रत में खा सकते हैं तुम्हारा व्रत नहीं टूटा। मेहंदी चहक उठी अच्छा पापा बिस्किट्स खाने से?
    बिस्किट नहीं खाते हैं व्रत में ।
  अब तो मेहंदी को इतना दुःख हुआ जितना मूँगफली खाने से व्रत टूटने का सोच कर भी नहीं हुआ था। गुस्सा भी आया बीच वाले भैया पर उनके कारण ही.....गुरर्र।
     शाम को एक अंकल आये उन्हें पूरा किस्सा पता लगा तो उन्होंने बताया जब वो बचपन मे व्रत रखने की जिद करते थे तो उनकी मम्मी एक दाढ़ का व्रत रखने को कहती थीं वो एक तरफ के दांतों से पूरा खाना खा लेते थे। मेहंदी तुमने एक तरफ से ही तो बिस्किट खाये होंगें। मेहंदी को इतना ध्यान नहीं था उसका व्रत ना रख पाने का संताप जन्माष्टमी का व्रत रखने के पश्चात ही दूर हुआ। उसके बाद मेहंदी ध्यानपूर्वक जन्माष्टमी व शिवरात्रि के व्रत सालोंसाल रखती रही।