Tuesday, 26 June 2018

नन्हें मेहमान का आगमन(२१)

नन्हें मेहमान का आगमन(२१)
उफ्फ भीषण गर्मी हो रही है, उस समय कूलर भी मुश्किल से दिखते थे ac तो शायद  कुछ लोग ही जानते होंगे या वो भी नही,सीलिंग फैन के सहारे ही गर्मियां कटती थीं।अगर विधुत ना हो तो सब व्यर्थ।कस्बे में बिजली भी तो आँख मिचौली खेलती रहती थी।दोपहर को ओढ़ने की चादर गीली कर ओढ़ लेते थे जो चंद मिनटों में ही सूख जाती थी फिर गीली करके ओढ़ते,इसी कवायद में दोपहर कट जाती जब बिजली आती तो राहत लाती।मेहंदी सोचती कोई ऐसी मशीन होनी चाहिये जिसमें बिजली आने पर भर लो और जब बिजली चली जाए तब इस्तेमाल कर लो।वर्षों बाद ये आस पूरी हुई इन्वर्टर के रूप में, धन्य है वो जिसने पहले ac से dc में फिर dc से ac में बिजली को बदला ।उसे शत शत नमन।
    मम्मी का पेट इतना फूलता क्यों जा रहा है, क्या हुआ है मम्मी को? मम्मी फ़्रिज से बर्फ़ की एक ट्रे निकालतीं जब तक सब भाई बहन एक टुकड़ा भी नही खा पाते थे तब तक वो पूरी ट्रे की बर्फ़ खा लेती थीं।मेहंदी को अचरज होता मम्मी को क्या होता जा रहा है।
  तब उसे पता लगा कि एक छोटा भाई या बहन आने वाला है अब तो मेहंदी को मम्मी का पेट छूने में बड़ा मजा आता।नन्हा सा भैया आने वाला है उसके साथ ख़ूब खेलूंगी।कोई चिढ़ा देता बहन आएगी तो वो वाकई में चिढ़ जाती नही भैया है और मम्मी का पेट छू कहती शूज़ पहना है भैया ही है।
   और फ़िर एक सुबह नन्हा मुन्ना भाई आया जो मेहंदी की आँख का तारा और खिलौना बन गया।

Friday, 22 June 2018

रैबीज की विभीषिका(२०)

रैबीज की विभीषिका(२०)
  मेहंदी एक दिन विद्यालय से आयी तो मम्मी की आँखों से झर झर आँसू बह रहे थे,पापा बहुत तसल्ली से कह रहे थे शशि हिम्मत रखो तैयार हो जाओ।मम्मी ने हरी काइया साड़ी पहनी जिस पर सफेद फूलों की कढ़ाई थी ये साड़ी मेहंदी को बहुत पसंद थी लेकिन इस के साथ मम्मी का रोता मुखड़ा बिलकुल सही नहीं लग रहा था।पहली बार मेहंदी ने मम्मी को रोते हुये देखा था,बड़ा विचित्र लग रहा था अपनी हंसमुख मम्मी को रोते हुये देखना।मम्मी पापा ने सभी बच्चों को भी तैयार कर दिया,मेहंदी की समझ में ही नहीं आ रहा कि रोते हुए कहाँ जाने का कार्यक्रम है।बड़े भैया ने उसे बताया कक्कू मामा नहीं रहे। नहीं रहे अर्थात? मर गये- कैसे? कुत्ते के काटने से, कुत्ते के काटने से भी कोई मरता है क्या भला? कई सवालों के ज़बाब तो वक्त के प्रवाह संग बाद में मिले।कक्कू मामा पालतू गाय के लिये चारे पानी की व्यवस्था कर रहे थे तभी एक सड़क के कुत्ते ने आकर उन्हें काट लिया नानी ने डॉ को बुलाया, उन्होंने 14 एन्टी रैबीज इंजेक्शन लगवाने की सलाह दी।नानी कक्कू मामा को अपने साथ ले जाकर इंजेक्शन लगवाने लगीं। वो इंजेक्शन बेहद दर्दनाक होते हैं,एक या दो इंजेक्शन के बाद मामा ने कह दिया कि वो खुद जाकर इंजेक्शन लगवा लिया करेंगें नानी को परेशान होने की जरूरत नहीं है।उन्होंने इंजेक्शन का कॉर्स पूरा नहीं किया, इससे रैबीज वायरस उनके शरीर में पनपते रहे।उनके कॉलेज का टूर आगरा गया वहां रस्ते में यमुना नदी के अथाह जल को देख उन्हें दौरा पड़ गया( रैबीज में जल देख कर फिट पड़ते हैं) उनकी बुरी हालत हो गयी जीभ बाहर लटकने लगी, प्रत्यक्ष दर्शियों का कहना था कि उनकी शक्ल भी कुत्ते जैसी लगने लगी थी। आनन फानन में उन्हें अस्पताल ले जाया गया वहाँ डॉ ने उन्हें एक इंजेक्शन दिया उसके बाद वो चिरनिद्रा में लीन हो गये। कक्कू मामा सभी मामाओं में से बच्चों को बहुत प्यार करते,अपनी बाइक पर घुमाते ,77 (कोला) पिलाते तथा अन्य कई मनोरंजन करते। उनके जाने का ख़ालीपन बहुत समय तक सबको सालता रहा, शायद बहुत समय से भी अधिक किन्तु वक़्त के गुजरने के साथ  हम दुःखद स्मृतियों का जिक्र करना बंद कर देते हैं तथा उस दुःख के साथ जीना सीख जाते हैं।