Thursday, 22 June 2017

यदि प्यार हो तो दोतरफा हो वरना हो ही ना......

 ए दिल है मुश्किल फिल्म में रणबीर कपूर से कहा गया शाहरुख खान का एक डायलॉग है- ''एकतरफा प्यार की ताकत कुछ और ही होती है. औरों के रिश्तों की तरह ये दो लोगों में नहीं बंटती, सिर्फ मेरा हक है इस पर'' एक हद तक ये बात सही भी है एकतरफ़ा प्यार का अपना ही जनून तथा अपना ही सुकून होता है।हमारी खुशियां एक शख्श से जुड़ी होने के बाबजूद भी हम ही नियंत्रित करते हैं,खुद ही उसके बारे में सोच कर आनन्दित हो जाते हैं उसकी एक झलक से हमारा दिन बन जाता है,यदि कभी उससे बात करने को मिल जाये चाहे वो साधारण सी मौसम की ही बात क्यों ना हो ....तब तो दिल बल्लियों उछलने लगता है।
    एकतरफ़ा प्यार भी दो तरह का होता है एक जिसमें किसी से बिना इजहार किये प्यार किया जाता है जैसे किसी सेलेब्रेटी को प्यार करते हों इस तरह से ...
     ये प्यार हमारे मन की भावनाओं से ही नियंत्रित होता है,खुद ही रोना खुद ही हँसना,खुद ही चहकना,खुद ही उदास होना,सब भावनायें एकतरफ़ा होती हैं जिसके लिये ये सब भावनायें होती हैं उसे कुछ पता ही नहीं वो अपनी दुनिया में मग्न और हम उसे अपने मन की दुनिया में बसा कर मग्न रहते हैं, ना कोई रूठना मनाना ना ही कोई अपेक्षा ,इसे आलौकिक प्रेम या प्लेटोनिक लव से भी परिभाषित किया जाता है ,निष्काम प्रेम जो केवल प्रेम ही होता है विशुद्ध प्रेम....
   जब किसी से प्यार का इज़हार कर दिया जाता है और दूसरा पक्ष इंकार कर देता है तब भी प्यार एक तरफा रह जाता है।ये प्यार कभी कभी खतरनाक रूप भी ले लेता है, इज़हार करने वाले के अहम पर चोट लगती है कि आख़िर मुझमें कमी क्या है जो इसने मुझे इंकार कर दिया और कभी कभी बदले की भावना से ग्रसित होकर कुछ अवांछनीय कर्म भी वो कर देता है।जिससे प्यार किया उसे ही दुःख देने लगते हैं तथा उसको प्रताड़ित कर सुखी भी होते हैं,ये कैसा प्यार हुआ? जिसे चाहा उसे ही दुःखी देख कर सुखी होना कदापि प्यार नहीं हो सकता।प्यार जबरन नहीं पाया जा सकता ना ही किसी को मजबूर करके प्यार पाया जा सकता है।यदि हम किसी को जबरन बन्धन में बांध कर उसे पा भी लें तो भी उसका प्यार प्राप्त नहीं कर सकते।
         "चाहा है जिसे मुक्त कर दो उसे
           है प्यार को तौलने का तराजू यही
           चाहत का मारा चला आएगा
            ना आये तो समझो तुम्हारा नहीं"

 दोतरफा प्यार ही असल में प्यार है जिसमें दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं और एक प्यार से दूसरा प्यार मिल कर दुगुना हो जाता है।दो व्यक्तियों के मध्य का तालमेल ,उनकी नोंकझोंक, एक दूजे की परवाह व एक दूजे की पसन्द नापसन्द को अपनाना ही सच्चे मायनों में प्यार होता है।
       इस प्यार में जूनून होता है एक दूजे के साथ रहने का....दोतरफा प्यार में मतभेद भी होते हैं लड़ाई झगड़े भी पर वो सब भी जीवन को जीवंत बनाते हैं।
      एक की कमियां,खामियां दूसरा पूरी कर देता है और दोनों मिल कर परिपूर्ण हो जाते हैं।रूठना,मनाना,हँसना,रोना,पाना व खोना सब चलता रहता है एवं जीवन का प्रवाह बना रहता है।
      मेरा तो कहना यही है कि यदि प्यार हो तो दोतरफा हो वरना हो ही ना......
     
                                  मीनाक्षी  मेहंदी

Thursday, 15 June 2017

हास्यबोध

                       
हास्यबोध
जीवन में जितने भी रस हैं उसमें सर्वाधिक महत्व श्रृंगार रस को दिया जाता है सम्भवतः उसके बाद हास्य रस का ही स्थान आता है,बढ़ते हुये हास्य शो व उनकी सफलता भी इसी की परिचायक है।
    तनाव दूर करने हेतु आवश्यक है कि हास्य का महत्व समझा जाये, महानगरों में तो सुबह सुबह समूह बना कर लोग नकली अठ्ठाहस लगाते हुए हास्य चिकित्सा का लाभ उठाते दिख जाते हैं ,नकली हँसी से भी उनके स्वास्थ पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ता है, विचारणीय है यदि ये हास्य वास्तविक हो एवं जीवन का अभिन्न अंग बन जाये तो कितना स्वास्थ सुधार हो।
    हास्य का सबसे बड़ा उपयोग ये है कि आप अपने मन की बात निसंकोच कह सकते हैं यदि सामने वाला समझ गया तो अति उत्तम अन्यथा हँसी में उड़ा दो, समझ कर बुरा मान गया तो भी कहा जा सकता है कि अरे ये सब तो परिहास था और आपके सम्बन्ध बिगड़ने से बच जायेंगे।
       किन्तु हास व परिहास में अंतर होता है ,मजाक करने तथा मजाक बनाने के मध्य जो विभाजन रेखा है उसे समझना ही हास्य बोध है।कब किस समय किससे क्या बात कही जाये कि वो आपका मर्म समझ भी जाये और उसे बुरा भी ना लगे ये कला विकसित कर ही हास्यबोध में पारंगत हुआ जा सकता है।
     कुछ मनुष्यों में हास्यबोध जन्म से ही विधमान होता है वो अपनी चुटीली बातों से किसी को भी तनावमुक्त कर हँसा सकते हैं, ये व्यक्ति किसी भी उत्सव की शोभा बन जाते है तथा अत्यंत लोकप्रिय भी होते हैं, इनका साथ सभी को प्रिय लगता है।ये व्यक्ति से कड़वी सच्चाई भी हास्य के द्वारा व्यक्त कर देतें हैं तथा लोग जब इनका व्यंग्य समझ जाते हैं तो सुखद परिणाम भी प्राप्त होते हैं।
     हँसते हँसाते चेहरे सभी को प्रिय लगते हैं तो क्यों ना प्रयास करें अपने जीवन में हास्यबोध को महत्व देने का,जीवन के सूक्ष्म पलों में आनन्दित होने का एवं अन्य को भी हँसी से सराबोर करने का ,किन्तु हास व परिहास की सीमा रेखा का स्मरण रखते हुए यदि आपके अंदर ये समझ विकसित नही है तो समझदारी इसी में है कि हास्य से दूर ही रहें अन्यथा महाभारत होने में भी अधिक समय नहीं लगता है।
   
                                मीनाक्षी मेहंदी

टिप्पणी: हँसते हँसते कट जायें रस्ते....
            ज़िन्दगी यूँ ही चलती रहे........

Monday, 5 June 2017

निर्जला एकादशी

निर्जला एकादशी* 
निर्जला एकादशी का व्रत ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को किया जाता है । इस वर्ष यह व्रत सोमवार *5* *जून* *2017* को है 
इसका नाम निर्जला है; अर्थात अत: नाम के अनुसार इसका व्रत करे तो स्वर्गादि के सिवा आयु और आरोग्यवृध्दि के तत्व विशेष रुप से विकसित होते है ।
व्यास ऋषि के कथानुसार यह अवश्य सत्य है की अधिमास सहित एक वर्ष की 25 एकादशी न की जा सके तो केवल *निर्जला* करने से ही पूरा फल प्राप्त हो जाता है ।
एक बार पाण्डव पुत्र भीम ने व्यास जी के मुख से प्रत्येक एकादशी को निराहार रहने का नियम सुनकर विन्रमता भाव से निवेदन किया कि महाराज ! मुझसे कोई व्रत नही किया जाता ।दिनभर बड़ी क्षुधा भूख लगी रहती है अत: आप कोई ऐसा कोई उपाय बताला दीजिये जिसके प्रभाव से स्वत: सदगति हो जाये तब व्यास जी ने कहा कि भीम तुमसे वर्षभर की सम्पूर्ण एकादशी नही हो सकती तो केवल एक निर्जला एकादशी का व्रत कर लो इसी से वर्षभर की एकादशी करने के समान फल हो जायगा । तब भीम ने वैसा ही किया इस एकादशी को भीम एकादशी भी इस लिये कहते हैं।