ए दिल है मुश्किल फिल्म में रणबीर कपूर से कहा गया शाहरुख खान का एक डायलॉग है- ''एकतरफा प्यार की ताकत कुछ और ही होती है. औरों के रिश्तों की तरह ये दो लोगों में नहीं बंटती, सिर्फ मेरा हक है इस पर'' एक हद तक ये बात सही भी है एकतरफ़ा प्यार का अपना ही जनून तथा अपना ही सुकून होता है।हमारी खुशियां एक शख्श से जुड़ी होने के बाबजूद भी हम ही नियंत्रित करते हैं,खुद ही उसके बारे में सोच कर आनन्दित हो जाते हैं उसकी एक झलक से हमारा दिन बन जाता है,यदि कभी उससे बात करने को मिल जाये चाहे वो साधारण सी मौसम की ही बात क्यों ना हो ....तब तो दिल बल्लियों उछलने लगता है।
एकतरफ़ा प्यार भी दो तरह का होता है एक जिसमें किसी से बिना इजहार किये प्यार किया जाता है जैसे किसी सेलेब्रेटी को प्यार करते हों इस तरह से ...
ये प्यार हमारे मन की भावनाओं से ही नियंत्रित होता है,खुद ही रोना खुद ही हँसना,खुद ही चहकना,खुद ही उदास होना,सब भावनायें एकतरफ़ा होती हैं जिसके लिये ये सब भावनायें होती हैं उसे कुछ पता ही नहीं वो अपनी दुनिया में मग्न और हम उसे अपने मन की दुनिया में बसा कर मग्न रहते हैं, ना कोई रूठना मनाना ना ही कोई अपेक्षा ,इसे आलौकिक प्रेम या प्लेटोनिक लव से भी परिभाषित किया जाता है ,निष्काम प्रेम जो केवल प्रेम ही होता है विशुद्ध प्रेम....
जब किसी से प्यार का इज़हार कर दिया जाता है और दूसरा पक्ष इंकार कर देता है तब भी प्यार एक तरफा रह जाता है।ये प्यार कभी कभी खतरनाक रूप भी ले लेता है, इज़हार करने वाले के अहम पर चोट लगती है कि आख़िर मुझमें कमी क्या है जो इसने मुझे इंकार कर दिया और कभी कभी बदले की भावना से ग्रसित होकर कुछ अवांछनीय कर्म भी वो कर देता है।जिससे प्यार किया उसे ही दुःख देने लगते हैं तथा उसको प्रताड़ित कर सुखी भी होते हैं,ये कैसा प्यार हुआ? जिसे चाहा उसे ही दुःखी देख कर सुखी होना कदापि प्यार नहीं हो सकता।प्यार जबरन नहीं पाया जा सकता ना ही किसी को मजबूर करके प्यार पाया जा सकता है।यदि हम किसी को जबरन बन्धन में बांध कर उसे पा भी लें तो भी उसका प्यार प्राप्त नहीं कर सकते।
"चाहा है जिसे मुक्त कर दो उसे
है प्यार को तौलने का तराजू यही
चाहत का मारा चला आएगा
ना आये तो समझो तुम्हारा नहीं"
दोतरफा प्यार ही असल में प्यार है जिसमें दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं और एक प्यार से दूसरा प्यार मिल कर दुगुना हो जाता है।दो व्यक्तियों के मध्य का तालमेल ,उनकी नोंकझोंक, एक दूजे की परवाह व एक दूजे की पसन्द नापसन्द को अपनाना ही सच्चे मायनों में प्यार होता है।
इस प्यार में जूनून होता है एक दूजे के साथ रहने का....दोतरफा प्यार में मतभेद भी होते हैं लड़ाई झगड़े भी पर वो सब भी जीवन को जीवंत बनाते हैं।
एक की कमियां,खामियां दूसरा पूरी कर देता है और दोनों मिल कर परिपूर्ण हो जाते हैं।रूठना,मनाना,हँसना,रोना,पाना व खोना सब चलता रहता है एवं जीवन का प्रवाह बना रहता है।
मेरा तो कहना यही है कि यदि प्यार हो तो दोतरफा हो वरना हो ही ना......
मीनाक्षी मेहंदी
एकतरफ़ा प्यार भी दो तरह का होता है एक जिसमें किसी से बिना इजहार किये प्यार किया जाता है जैसे किसी सेलेब्रेटी को प्यार करते हों इस तरह से ...
ये प्यार हमारे मन की भावनाओं से ही नियंत्रित होता है,खुद ही रोना खुद ही हँसना,खुद ही चहकना,खुद ही उदास होना,सब भावनायें एकतरफ़ा होती हैं जिसके लिये ये सब भावनायें होती हैं उसे कुछ पता ही नहीं वो अपनी दुनिया में मग्न और हम उसे अपने मन की दुनिया में बसा कर मग्न रहते हैं, ना कोई रूठना मनाना ना ही कोई अपेक्षा ,इसे आलौकिक प्रेम या प्लेटोनिक लव से भी परिभाषित किया जाता है ,निष्काम प्रेम जो केवल प्रेम ही होता है विशुद्ध प्रेम....
जब किसी से प्यार का इज़हार कर दिया जाता है और दूसरा पक्ष इंकार कर देता है तब भी प्यार एक तरफा रह जाता है।ये प्यार कभी कभी खतरनाक रूप भी ले लेता है, इज़हार करने वाले के अहम पर चोट लगती है कि आख़िर मुझमें कमी क्या है जो इसने मुझे इंकार कर दिया और कभी कभी बदले की भावना से ग्रसित होकर कुछ अवांछनीय कर्म भी वो कर देता है।जिससे प्यार किया उसे ही दुःख देने लगते हैं तथा उसको प्रताड़ित कर सुखी भी होते हैं,ये कैसा प्यार हुआ? जिसे चाहा उसे ही दुःखी देख कर सुखी होना कदापि प्यार नहीं हो सकता।प्यार जबरन नहीं पाया जा सकता ना ही किसी को मजबूर करके प्यार पाया जा सकता है।यदि हम किसी को जबरन बन्धन में बांध कर उसे पा भी लें तो भी उसका प्यार प्राप्त नहीं कर सकते।
"चाहा है जिसे मुक्त कर दो उसे
है प्यार को तौलने का तराजू यही
चाहत का मारा चला आएगा
ना आये तो समझो तुम्हारा नहीं"
दोतरफा प्यार ही असल में प्यार है जिसमें दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं और एक प्यार से दूसरा प्यार मिल कर दुगुना हो जाता है।दो व्यक्तियों के मध्य का तालमेल ,उनकी नोंकझोंक, एक दूजे की परवाह व एक दूजे की पसन्द नापसन्द को अपनाना ही सच्चे मायनों में प्यार होता है।
इस प्यार में जूनून होता है एक दूजे के साथ रहने का....दोतरफा प्यार में मतभेद भी होते हैं लड़ाई झगड़े भी पर वो सब भी जीवन को जीवंत बनाते हैं।
एक की कमियां,खामियां दूसरा पूरी कर देता है और दोनों मिल कर परिपूर्ण हो जाते हैं।रूठना,मनाना,हँसना,रोना,पाना व खोना सब चलता रहता है एवं जीवन का प्रवाह बना रहता है।
मेरा तो कहना यही है कि यदि प्यार हो तो दोतरफा हो वरना हो ही ना......
मीनाक्षी मेहंदी