वो नेट की फ्रॉक (२८)
डॉक्टर साहब ने एक बहुत सुंदर पीच रंग की फ्रॉक जिसमें खूब सारी फ्रिल थी मेहंदी को दिलवाई ,मेहंदी जिस भी उत्सव में उसे पहन कर जाती है सब उसकी बहुत तारीफ करते हैं बिल्कुल परी लग रही हो। मेहंदी को भी वह फ्रॉक बहुत भाती, सबसे बड़ी बात उस फ्रॉक में चार जेबें लगी हुई थी लड़कियों को जेब वाले कपड़े कभी कभी ही पहनने को मिलते हैं जब भी मिलते हैं वह खूब इतराती हैं।
समय के साथ साथ वह फ्रॉक मेहंदी को छोटी होने लगी और मम्मी ने उसे घर में पहनाने लगी मेहंदी को वह फ्रॉक जब घर में पहनने को मिलने लगी तो उसकी कदर खत्म हो गई । अब उसके और नए नए कपड़े आ गए थे मेहंदी का मन उन्हें पहनने को करता था इस फ्रॉक से पीछा छुड़ाना चाहती थी किंतु मम्मी कहती थी इतनी कीमती फ्रॉक है थोड़ी दिन और पहनकर कर वसूल कर लो एक बार आसपास के बच्चों और मेहंदी के भाई बहनों ने मिल के जेल परिसर में लगे जामुन के पेड़ से जामुन तोड़ने का प्लान बनाया सब बच्चों ने खूब जामुन तोड़े जिसने भर सकते थे अपनी अपनी जेब में भरे मेहंदी ने भी फ्रॉक की जेबों में और उसके बाद भी जो जामुन बचे, उसे उन्हें फ्रॉक के घेरे में भर लिए पूरे फ्रॉक पर जामुन के रस के धब्बे पड़ गए । मेहंदी खुशी खुशी घर आई देखो मम्मी कितने सारे जामुन लायी हूं। मम्मी का तो पारा चढ़ गया सारी फ्रॉक दाग़दार कर ली अब कैसे छूटेंगे जामुन के दाग आसानी से नहीं जाते पूरी पोशाक का सत्यानाश कर लिया ।मम्मी की डांट से रूआंसी होने के बाबजूद भी मेहंदी ने सोचा चलो अब फ्रॉक से छुटकारा मिला।अनजाने में ही सही चोखा काम हो गया ,दाग अच्छे हैं, उस दिन के बाद मेहंदी ने वो फ्रॉक कभी नहीं देखी। लेकिन कुछ समय पश्चात जब कभी मेहंदी को मूँगफली रखनी होती या बाजार से टॉफी वगैरा लानी होती तो उसे जेब की कमी महसूस होने लगी और उसे याद आती अपनी पीच फ्रॉक, अब मेहंदी अक्सर अब मेहंदी अक्सर अपनी उस फ्रॉक को याद करती , लेकिन एक बार बेकार होने के बाद पुनः वह फ्रॉक नहीं मिल सकती थी ।इन्सान की फितरत ऐसी ही है जब तक कोई चीज उसे नहीं मिलती तब तक उसे आकर्षित करती है उसे रिझाती है जब उसे वो चीज मिल जाती है तब कुछ समय तक उसको बहुत ही ध्यान पूर्वक रखता है परन्तु आसानी से उपलब्ध होने पर वो उसकी कदर करना भूल जाता है ।और फिर जब उससे उसका बिछोह होता है तब उसे फिर से उसकी कदर होने लगती है और वह उसे याद करने लगता है ।मनुष्य के संग ऐसा क्यों होता है जब कोई चीज हमारे पास होती है तब हम उसकी कदर क्यों नहीं कर पाते? उसकी कदर तभी क्यों होती है जब वह हमसे दूर होती है ?क्यों? आखिर क्यों?